झारखंड में टेंडर प्रक्रिया अब केवल एक औपचारिकता बनकर रह गई है: बाबूलाल मरांडी

RANCHI: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवम नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य में टेंडर प्रक्रिया अब केवल औपचारिकता मात्र रह गई है।
कहा कि भवन निर्माण विभाग ने सिमडेगा में लगभग 1 करोड़ रुपये की लागत से कोल्ड स्टोरेज निर्माण के लिए 5 अप्रैल को टेंडर जारी किया,
और महज दो दिन बाद, 7 अप्रैल को निविदा खोलने की तिथि तय कर दी।
गौर करने वाली बात यह है कि 6 अप्रैल को रामनवमी का पर्व था और रविवार की छुट्टी भी… ऐसे में किसी भी इच्छुक संवेदक के लिए केवल एक दिन में आवश्यक दस्तावेज तैयार करना और निविदा प्रक्रिया में शामिल होना लगभग असंभव है।
कहा कि यह पूरी प्रक्रिया संदेह के घेरे में है और ऐसा प्रतीत होता है कि टेंडर पहले से ही किसी खास वर्ग या चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से तय किया गया था।
मैं पहले भी कई बार यह मुद्दा उठा चुका हूं कि अधिकांश टेंडर पहले से फिक्स होते हैं, जिससे घटिया निर्माण कार्य और भ्रष्टाचार को खुला बढ़ावा मिल रहा है।
कहा कि उपायुक्त सिमडेगा इस टेंडर को तत्काल निरस्त कर निष्पक्ष, पारदर्शी और सभी इच्छुक प्रतिभागियों को समान अवसर देने वाली प्रक्रिया के तहत पुनः जारी किया जाए, ताकि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सके और गुणवत्ता से समझौता न हो।
दूसरी बार सत्ता में आने के बाद हेमंत सरकार कैबिनेट में नकारात्मक निर्णय ले रही
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवम नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि दूसरी बार सत्ता में आने के बाद हेमंत सरकार कैबिनेट में नकारात्मक निर्णय ले रही।
कहा कि यह सरकार पहली कैबिनेट में प्रतियोगिता परीक्षाओं का कैलेंडर जारी करने की घोषणा के साथ सत्ता में लौटी है लेकिन आज स्थिति बदल गई ।यह सरकार नौकरी देने के बजाय नौकरी छीनने में लग गई।
कहा कि यह सरकार नई वेकेंसी ,नए पद सृजित करने के बजाय पद को समाप्त करने में जूट गई।
कहा कि कैबिनेट बैठक में हेमंत सरकार ने 8,900 टीजीटी और पीजीटी शिक्षकों के पद सरेंडर करने का निर्णय लिया है।
कहा कि जब राज्य में शिक्षक के लाखों पद पहले से ही रिक्त हैं, तब टीजीटी और पीजीटी के 8,900 पदों को एक झटके में खत्म कर देना शिक्षित बेरोज़गारों के साथ अन्याय है, साथ ही प्रदेश के शिक्षा तंत्र को भी कमजोर करने का प्रयास है।
कहा कि यह फैसला उन हज़ारों युवाओं की उम्मीदों का अंत है, जो सालों से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे।
कहा कि शिक्षक पदों को खत्म करने का दुष्प्रभाव विद्यार्थियों के भविष्य पर पड़ेगा। सरकार अविलंब इस निर्णय को वापस ले और जल्द से जल्द खाली पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू करे।