कांग्रेस पार्टी का संविधान बचाओ रैली एक नौटंकी : बाबूलाल मरांडी

राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे बताएं, शरिया बड़ा या संविधान
सत्ता और तुष्टीकरण केलिए कांग्रेस ने 79बार किया संविधान में संशोधन
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RANCHI: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवम नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने आज कांग्रेस पार्टी द्वारा आयोजित संविधान बचाओ रैली पर बड़ा निशाना साधा।
श्री मरांडी आज प्रदेश कार्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित कर रहे थे।
श्री मरांडी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने संविधान की मर्यादाओं को , लोकतंत्र को जितना प्रहार किए वो देश के इतिहास में काले पन्ने के रूप में दर्ज है।
कहा कि कांग्रेस ने सत्ता केलिए संविधान की मूल भावना को भी बदल दिया।
और लोकतंत्र को मार डालने की हर संभव कोशिश की।
कहा कि कांग्रेस ने अपने 60 वर्षों के शासन में 79 बार संविधान में संशोधन किए।
जो केवल तुष्टीकरण और सत्ता केलिए हुआ। कांग्रेस ने संविधान को तुष्टीकरण का घोषणापत्र बना दिया
कहा कि प्रथम संविधान संशोधन अभिव्यक्ति की आज़ादी पर पहला प्रहार पंडित नेहरू ने किया ताकि सरकार की आलोचना करने वाले पर कार्रवाई की जा सके।
इसने अनुच्छेद 19(1)(a) में कटौती की और प्रेस की आज़ादी को सीमित किया।
संविधान लागू करने के कुछ ही समय बाद नेहरू द्वारा इसमें संशोधन दिखता है की नेहरू सविंधान की कितनी इज्जत किया करते थे।
कहा कि इसी तरह आर्टिकल 35A – असंवैधानिक तरीके से शामिल करना।
कश्मीर से संबंधित यह अनुच्छेद राष्ट्रपति के आदेश द्वारा लागू किया गया, न कि संसद द्वारा या सविंधान संशोधन द्वारा।संविधान संशोधन की प्रक्रिया की अवहेलना कर इसे एकतरफा लागू किया गया।
देश तो तो अपनी जागीर समझते ही थे सविंधान को भी अपनी जागीर समझाते थे।
कहा कि चुनी हुई राज्य सरकारों को गिराना यह कांग्रेस की फितरत रही है।
गैर-कांग्रेसी सरकारों को बार-बार गिराने के लिए राष्ट्रपति शासन (Art. 356) का दुरुपयोग किया गया।लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बाधित करने का यह गंभीर उदाहरण था।
कहा कि 1966–1977 के बीच संविधान में 25 बार संशोधन किया गया।
कहा कि गोलकनाथ केस में सुप्रीम कोर्ट ने मूल अधिकारों को संशोधित न करने की बात की थी।
कांग्रेस सरकार ने दो-तिहाई बहुमत पाकर इस निर्णय को पलटते हुए 24वां संशोधन पारित कर दिया।
कहा कि न्यायपालिका में हस्तक्षेप करते हुए इंदिरा गांधी ने 25 अप्रैल 1973 को तीन वरिष्ठतम न्यायाधीशों को दरकिनार कर A.N. Ray को CJI नियुक्त किया।
यह निर्णय केशवानंद भारती केस में बहुमत के विरुद्ध मत देने वाले जज को प्रमोट करके न्यायपालिका पर दबाव बनाने का प्रयास था।केशवानंद भारती केस और “मूल ढांचे” की रक्षा (1973)कांग्रेस द्वारा संविधान के मूल ढांचे को बदलने की कोशिशों को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने “Basic Structure Doctrine” घोषित किया।
यह संविधान की आत्मा की रक्षा के लिए ऐतिहासिक निर्णय था। सर्वोच्च न्यालय ने कांग्रेस के आए दिन सविंधान में कर रहे संशोधन से तंग आकर यह फैसला लिया था
कहा कि 42वां संविधान संशोधन इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल के दौरान पारित यह संशोधन इतना व्यापक था कि इसे “मिनी संविधान” कहा गया।
यह न्यायपालिका, संसद और मूल अधिकारों को कमजोर करने की साज़िश थी। सविंधान पर इस व्यापक प्रहार को जनता पार्टी ने आकर रोका.
कहा कि प्रस्तावना में बदलाव (42वां संविधान संशोधन, 1976)संविधान की आत्मा और सार प्रस्तावना होती है।
कांग्रेस सरकार ने आपातकाल के दौरान “समाजवादी”, “धर्मनिरपेक्ष” और “राष्ट्रीय अखंडता” जैसे शब्द जोड़े।यह कार्य बिना आम सहमति या जनमत के किया गया और इसे मुस्लिम तुष्टिकरण से प्रेरित माना गया।
मुस्लिम वोट बैंक को साधने के प्रयास में सविंधान के सार को ही बदल दिया गया।
मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए कांग्रेस सविंधान की मूल भावना को ही नष्ट करने पर उतारू हो गई।
आपातकाल यह भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला दिन माना जाता है।
मौलिक अधिकारों, प्रेस की स्वतंत्रता, और न्यायपालिका की स्वायत्तता पर खुला हमला किया गया।
किचन कैबिनेट” की संस्कृति
इंदिरा गांधी, राजीव गांधी. मनमोहन सिंह के समय तो किचन कैबिनेट सोनिया गांधी के घर में शिफ्ट हो गया था।
या संविधान द्वारा मानक संसदीय लोकतंत्र के बिल्कुल विरुद्ध था. शाहबानो केस में दखल (1986)
सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुस्लिम महिला को गुज़ारा भत्ता देने का फैसला दिया गया।
राजीव गांधी सरकार ने एक विशेष कानून बना कर यह फैसला पलट दिया।
यह संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का खुला उल्लंघन था — अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की चरम सीमा।
मुस्लिम समुदाय को खुश करने के लिए पूरे के पूरे सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट को बदलना अपने आप में एक उदाहरण है कि किस तरह से सविंधान की धज्जिया उड़ायी जाती है।
कहा कि संसद की गरिमा का अपमान – राहुल गांधी द्वारा कैबिनेट पेपर फाड़ना संवैधानिक संस्थाओं का बड़ा अपमान है।
कहा कि सविंधान संसदीय लोकतंत्र पर भरोसा करता है।
संसद की प्रक्रिया में कैबिनेट फैसले सर्वोच्च होते हैं।
राहुल गांधी द्वारा सार्वजनिक स्थल में कैबिनेट के दस्तावेज फाड़ना संसदीय प्रणाली का सीधा अपमान है।
संसद और संस्थाओं की अवहेलना – ED और कोर्ट के प्रति अवमानना
यह वही संस्थाएं हैं जो संविधान और संसद की प्रक्रिया से बनी हैं।
पूरे देश में ED कार्यालय के सामने हिंसक प्रदर्शन कर अधिकारियों को धमकाया गया।
एक परिवार को समस्या को दूर करने के लिए कांग्रेस ने पूरे देश को बंधक बनाया।
कहा कि कांग्रेस नेतृत्व और JMM के नेताओं द्द्वारा खुलेआम ऐसे बयान दिए गए जिनमें शरीयत को संविधान से ऊपर बताया गया।
संविधान की सर्वोच्चता पर सीधा प्रश्न खड़ा हुआ। वक़्फ़ क़ानून पर हो रहे हिंसक विरोध और कांग्रेस को इसका समर्थन इसका सीधा उदाहरण है।
झारखंड DGP नियुक्ति विवादराज्य की प्रशासनिक नियुक्तियों में संविधान को नजरअंदाज कर राजनीतिक हस्तक्षेप किया गया।
मुस्लिम आरक्षण की साज़िश – सच्चर और रंगनाथ मिश्रा कमेटीUPA सरकार ने इन रिपोर्टों के आधार पर मुस्लिम समुदाय को SC/ST कोटे में शामिल करने की सिफारिश की।यह संविधान प्रदत्त आरक्षण प्रणाली को कमजोर करने और अल्पसंख्यक तुष्टिकरण का प्रयास था। कर्नाटक में यह प्रयोग हाल फिलहाल में किया गया है
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी अपने कृत्यों केलिए जनता से माफी मांगे।
प्रेसवार्ता में प्रवक्ता राफिया नाज एवं योगेंद्र प्रताप सिंह उपस्थित थे।