अल्ट्रा प्ले ओटीटी पर कॉमेडी फिल्म ‘टोकन द ट्रेजर

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MUMBAI: निर्देशिका डॉक्टर रविकला गुप्ता की कॉमेडी फिल्म ‘टोकन द ट्रेजर’ अल्ट्रा प्ले ओटीटी पर रिलीज हुई है।

अभी तक कि सबसे पॉपुलर फिल्म होने का टैग अपने नाम यह फिल्म कर चुकी है।

यह फिल्म 2022 में सभी सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। इस फिल्म में प्रसिद्ध अभिनेता रविकिशन की बेटी रीवा किशन मुख्य नायिका है और उनके साथ में अनूप जलोटा ( कैमियो ), श्रुति उल्फ़त, दीपशिखा जैसे जानेमाने कलाकार हैं। ‘

टोकन द ट्रेजर’ की कहानी कॉमेडी ड्रामा है जो एक मध्यमवर्गीय परिवार के सपनों और दायरों में पिरोयी गई है।

इस फिल्म को सिनेदर्शकों के लिए अल्ट्रा प्ले ओटीटी प्लेटफॉर्म पर दोबारा रिलीज किए जाने के बाद से निर्देशिका डॉक्टर रविकला गुप्ता इन दिनों काफी चर्चा में हैं।

डॉक्टर रविकला गुप्ता को सेंट्रल क्रिश्चियन यूनिवर्सिटी ऑफ अमेरिका की ओर से डॉक्टरेट की उपाधि देकर सम्मानित किया गया है।

डॉक्टर रविकला गुप्ता की शॉर्ट फिल्म ‘सेलिब्रेट लाइफ’ 14 वें ग्लोबल कैप्टेन ऑफ द शिप’ अवार्ड समारोह में सम्मानित हो चुकी है।

डॉ रविकला ने कई शॉर्ट्स फिल्म और विज्ञापन फिल्मों का निर्माण किया है। उन्होंने अपनी निर्देशन कुशलता के कारण काफी वाहवाहियां बटोरी है।

उनकी शॉर्ट्स फिल्में ‘सेलिब्रेट लाइफ’, ‘अजी सुनते हो’, ‘कॉफी’ आदि है। उन्होंने मार्शल वॉलपेपर, टीवीएस बाइक जैसे कई फेमस ब्रांड्स के एड फिल्मों का भी निर्देशन किया है।

फिल्म इंडस्ट्री में उनका आगमन बतौर अभिनेत्री हुआ। उन्होंने अभिनेता मनोज कुमार की टीवी सीरीज ‘कहाँ गए वो लोग’, भोजपुरी फिल्म ‘हमार दूल्हा’ में अभिनय किया।

डॉक्टर रविकला गुप्ता क्लासिकल डांस भरतनाट्यम में विषारद हैं। अभी वह अपने स्क्रिप्ट में काम कर रही हैं और जल्द ही वह इसे कैमरे में भी उतारेंगी।

निर्देशिका डॉक्टर रविकला गुप्ता ने अपनी पुत्री खुशी गुप्ता को वकालत की पढ़ाई करवाई है और उनकी अभिनय करने की इच्छा का सम्मान करते हुई अपनी फिल्मों में मौका दिया है।

डॉक्टर रविकला गुप्ता कहती हैं कि उनको वास्तविक घटनाओं, राजीतिक और सामाजिक थ्रिलर तथा वर्तमान समय में होने वाली घटनाओं पर आधारित फिल्में बनाना अच्छा लगता है।

साथ ही साथ वह कहती हैं कि फिल्म मनोरंजन का साधन है, आप हर फिल्म की कथा, संवाद या दृश्य आदि को अपनी वास्तविक जीवन में अपनाने की कोशिश ना करें।

मनोरंजन का आनंद लें और खुश रहें। क्योंकि फिल्म जीवन का आईना हो सकती है जीवन नहीं।

वर्तमान समय में बन रही फिल्मों के बारे में उनका कहना है कि अभी के समय की फिल्में कहीं ना कहीं युवा पीढ़ी को गुमराह कर रही है।

फिल्म के दृश्य, संवाद और कलाकारों की छवि जो पर्दे पर दिखायी जा रही है उनसे युवा दिग्भ्रमित हो रहे हैं।

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