अब कॉलेजियम प्रणाली के लिए सख्त हुआ सुप्रीम कोर्ट, बोला- पीठ का करना होगा गठन
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)ने सोमवार को कहा कि शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालयों (the courts)में जजों की नियुक्ति के लिए मौजूदा कॉलेजियम प्रणाली (Collegium system)के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के लिए उसे एक पीठ का गठन करना होगा। शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी तब की, जब एक अधिवक्ता ने कॉलेजियम प्रणाली के खिलाफ दाखिल अपनी याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने अधिवक्ता मैथ्यूज जे. नेदुमपारा से कहा कि ‘कॉलेजियम प्रणाली के खिलाफ याचिका पर मुझे एक पीठ का गठन करना होगा।’ नेदुमपारा ने पीठ के समक्ष हाल ही में सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत हुए जस्टिस संजय किशन कौल के एक साक्षात्कार का हवाला देकर कॉलेजियम के खिलाफ याचिका पर सुनवाई की मांग की थी।
एक समाचार एजेंसी को दिए अपने साक्षात्कार में जस्टिस कौल ने कहा था कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को कभी भी काम करने का मौका नहीं दिया गया, जिससे राजनीतिक हलकों में नाराजगी पैदा हुई और न्यायाधीशों की नियुक्ति करने वाली कॉलेजियम प्रणाली के कामकाज में मनमुटाव हुआ। वर्ष 2014 में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम बनाया था।
एनजेएसी, जिसे न्यायिक नियुक्तियां करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ न्यायाधीश, केंद्रीय कानून मंत्री के अलावा सीजेआई, प्रधानमंत्री और नेता विपक्ष द्वारानामित दो अन्य प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल किए गए ते। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2015 में, एनजेएसी अधिनियम को असंवैधानिक करार देते हुए, रद्द कर दिया था।
जस्टिस कौल ने कहा था कि यदि लोग कहते हैं कि यह (कॉलेजियम) सुचारू रूप से काम करता है, तो यह एक अर्थ में अवास्तविक होगा क्योंकि यह कोई तथ्य नहीं है। यह लंबित नियुक्तियों की संख्या से परिलक्षित होता है। यहां तक कि आज तक, कुछ नाम जिनकी सिफारिश की गई है, लंबित हैं।
जस्टिस कौल ने कहा था कि ‘हमें यह स्वीकार करना होगा कि इस प्रणाली में कोई समस्या है, अगर हम समस्या के प्रति अपनी आंखें बंद कर लेंगे, तो हम समाधान तक नहीं पहुंच पाएंगे। आपको पहले समस्या को स्वीकार करना होगा और उसके बाद ही आप समाधान निकाल सकते हैं। जस्टिस कौल, खुद भी एक साल से अधिक समय तक सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के सदस्य रहे हैं। उनके इस साक्षात्कार का हवाला देकर कॉलेजियम के खिलाफ पहले से लंबित याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की गई है।