चंद्रयान-3 और आदित्य L-1 के बाद ISRO का नया मिशन, यह स्पेशल सैटेलाइट लॉन्च करने को तैयार
नई दिल्ली । भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) जल्द ही एक और खुशखबरी (Good News)देने की तैयारी में है। इसरो ने कहा कि मौसम संबंधी (meteorological)उपग्रह इनसेट-3डीएस को जीएसएलवी F14 पर प्रक्षेपित किया जाना है। इसके लिए उसे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) एसएचएआर के लिए रवाना कर दिया गया है। सैटेलाइट ने बेंगलुरु स्थित यू.आर. राव उपग्रह केंद्र में उपग्रह संयोजन, एकीकरण और परीक्षण गतिविधियों को सफलतापूर्वक पूरा किया था।
यह सैटेलाइट पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MOES) के साथ एक यूजर-फंडेड प्रोजेक्ट है, जिसे 2275 किलोग्राम के ‘लिफ्ट-ऑफ’ द्रव्यमान के साथ इसरो के आई-2के बस प्लेटफॉर्म के आसपास कंबाइंड किया गया है। मालूम हो कि उपग्रह के निर्माण में भारतीय उद्योगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। लिफ्ट ऑफ द्रव्यमान रॉकेट का प्रारंभिक द्रव्यमान होता है। लिफ्ट ऑफ द्रव्यमान में ईंधन और ऑक्सीडाइजर का कुल द्रव्यमान शामिल होता है।
इनसेट 3डीएस सैटेलाइट का क्या है मकसद
सूत्रों के मुताबिक, अंतरिक्ष एजेंसी फरवरी के मध्य में प्रक्षेपण का लक्ष्य लेकर चल रही है। सब कुछ योजना के मुताबिक रहा तो इसे तय वक्त पर भी लॉन्च किया जाएगा। इसरो ने कहा, ‘इनसेट 3डीएस ISRO की ओर से निर्मित एक विशेष मौसम संबंधी उपग्रह है जिसका प्राथमिक उद्देश्य मौजूदा कक्षा में इनसेट-3डी और 3डीआर उपग्रहों को सेवाओं की निरंतरता प्रदान करना है। साथ ही इससे इनसेट सिस्टम की क्षमताओं को काफी हद तक बढ़ाने में मदद मिलेगी।’
2023 में ISRO के नाम कई सफलताएं
गौरतलब है कि इसरों ने पिछले साल कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल कीं। चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान को आसानी से उतारा गया। साथ ही सूर्य का अध्ययन करने के लिए भारत की पहली अंतरिक्ष-आधारित सौर वेधशाला आदित्य-एल1 का लॉन्च हुआ। इसरो ने गगनयान का पहला मानवरहित उड़ान परीक्षण भी 2023 में पूरा कर लिया। मालूम हो कि चंद्रयान-3 3,84,400 किमी से अधिक दूर पृथ्वी के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह पर सफलतापूर्वक उतरा था। भारत चांद के अज्ञात दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर अंतरिक्ष यान उतारने वाला पहला देश भी बन गया।