गठबंधन में सीट शेयरिंग फॉर्मूला एक बड़ा सियासी मसला, जानें शिवसेना पर क्यों बिफर उठी कांग्रेस पार्टी?

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नई दिल्ली । 2024 लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर महाराष्ट्र में नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. बीते दिनों शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत के बयान के बाद कांग्रेस पार्टी बिफरी हुई नजर आ रही है.

सीट बटवारे को लेकर छिड़ी जंग

शिव सेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने कहा था कि यह महाराष्ट्र है और शिवसेना यहां की सबसे बड़ी पार्टी है. कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है. उद्धव ठाकरे निर्णय लेने के साथ सकारात्मक चर्चा कर रहे हैं. हमने राहुल गांधी, सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और केसी वेणुगोपाल सहित कांग्रेस के नेताओं से कहा है कि शिवसेना हमेशा दादरा और नगर हवेली सहित लोकसभा चुनाव में 23 सीटों पर लड़ती रही है और हम इस रुख पर कायम है. सीट बंटवारे पर हम सिर्फ दिल्ली के कांग्रेस नेताओं से बात करेंगे, महाराष्ट्र के स्थानीय नेताओं से नहीं।

संजय राउत को कांग्रेस नेता ने दी नसीहत

संजय राउत के इस बयान के बाद कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है. संजय निरुपम ने कहा “रोजाना होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस और सामना में लिखे जाने वाले आर्टिकल के चलते शिवसेना (यूबीटी) ने बीजेपी के साथ नाता तोड़ा, क्या आप कांग्रेस के साथ भी ऐसा ही करना चाहते हैं? राउत को प्रेस कॉन्फ्रेंस और सामना में गठबंधन दलों के खिलाफ लिखना बंद करना चाहिए. कांग्रेस पार्टी के बिना शिवसेना (यूबीटी) लोकसभा में एक भी सीट नहीं जीत सकती है. सीट बंटवारा अभी पूरा नहीं हुआ है. इसकी चर्चा टीवी पर नहीं होनी चाहिए. तीनों दलों के नेताओं को एक साथ बैठकर चर्चा करने और मेरिट के आधार पर फैसला लेने की जरूरत है।

सीट शेयरिंग फॉर्मूला एक बड़ा सियासी मसला

सीट बंटवारे को लेकर उद्धव ठाकरे ने कहा कि शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरद पवार गुट) के बीच चर्चा अच्छी रही है. मै ऐसा कुछ नहीं करने वाला हूं, जिससे एमवीए को नुकसान पहुंचे. इसलिए मैं कुछ भी कहने वाले लोगों पर ध्यान नहीं दूंगा. जब तक कांग्रेस सीट बंटवारे पर नहीं बोलेगी, तब तक न तो मैं और न ही मेरी तरफ से कोई कुछ कहेगा. इंडिया गठबंधन को जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, उनमें सीट शेयरिंग फॉर्मूला एक बड़ा सियासी मसला है. हालिया विधानसभा चुनाव में करारी असफलताओं के बाद इंडिया गठबंधन में कांग्रेस के सेय को लेकर दबे स्वर में आवाज उठने लगे है. ऐसे में देखना यह दिलचस्प होगा कि महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी के बीच सीट शेयरिंग को लेकर कौन स्वरूप सामने आ सकता है।

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