अर्थराइटिस जोड़ों में होने वाली एक सुजनकारी बीमारी: डॉ रजनीश बरियार

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8 सितम्बर वर्ल्ड फिजियोथेरेपी डे 2023 के खास मौके

RANCHI: वर्ल्ड फिजियोथेरेपी डे के अवसर पर डॉ बरियार फिजिओथेरेपी एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर” के “चीफ़ एंड हेड फिजियोथेरेपिस्ट डॉ रजनीश बरियार से की गई खास बातें

वर्ल्ड फिजियोथैरेपी डे की शुरुआत कैसे हुई और क्यों मनाई जाती है?

भौतिक चिकित्सा परिसंघ दुनिया का एकमात्र ऐसा संगठन है जो दुनिया के सभी फिजियोथैरेपिस्ट का प्रतिनिधित्व करता है। इसकी स्थापना 8 सितंबर 1951 को की गई थी,लेकिन इस दिन को मनाने की आधिकारिक घोषणा 8 सितंबर 1996 को की गई।

जिसका मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में फिजियोथैरेपी को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाना है।

फिजियोथैरेपी का महत्व क्या है?

फिजियोथैरेपी का दायरा सीमित नहीं है इसका उपयोग मेडिकल फील्ड के अलग अलग विभाग जैसे कि

ऑर्थोपेडिक में:-ऑस्टियोआर्थराइटिस ,रूमेटाइड अर्थराइटिस, रोटेटर कफ संबंधित कंधे का दर्द,फ्रोजन शोल्डर,टेंडोनाइटिस, बर्साइटिस,डिस्क हेर्निएशन, स्टेनोसिस, जोड़ो का दर्द, कमर दर्द,….. इत्यादि।

न्यूरोलॉजिकल में:– एलस,अल्जाइमर, सेरेब्रल पाल्सी ,माइग्रेन,पार्किंसंस,स्ट्रोक,मल्टीपल स्क्लेरोसिस,…इत्यादि।

कार्डियोपलमोनरी में:- अस्थमा,ब्रोनकाईटीस, कर्डियोवस्कूलर बीमारी, डिविपी,न्यूमोनिया, सीओपीडी,..इत्यादि।

स्पोर्ट्स में:-मस्कुलर स्ट्रैन, स्प्रैन, जोड़ो मे दर्द..इत्यादि।

पीडियाट्रिक में:– डाउन सिंड्रोम,

ऑटिसम,स्पिना इस्पिना बाईफ़िडा, सेरीब्रल पाल्सी,…इत्यादि।

गायनेकोलॉजी में :-पेलविक् फ्लोर विकनेस्, इनकॉन्टिनेंट्स, प्रे एंड पोस्ट नेटल प्रेगनेन्सी क्लासेस इत्यादि…जैसे भिन्न – भिन्न विभाग के भिन्न – भिन्न प्रकार के बीमारियों को ठीक करने हेतू फिजियोथैरेपी का उपयोग किया जा रहा है।

किस तरह के मरीज़ फिजियोथैरेपी का लाभ उठा सकते हैं?

निम्न आम कारणों से लोग फिजियोथैरेपी के लिए आते हैं:-
मांसपेशियों की ऐठन एवं कमजोरी को कम करने के लिए।
मांसपेशियों के खिंचाव और लचीलेपन में मदद के लिए ।
सर्जरी के बाद तेजी से सुधार के लिए।

शरीर के संतुलन में सुधार करने के लिए एवं जोड़ो की गतिशीलता के लिए।
दर्द से राहत के लिए।
मोटापा कम करने के लिए।

वृद्धा अवस्था संबंधित समस्याओं में मदद के लिए….. इत्यादि।

हम कैसे एक अच्छे फिजियोथैरेपिस्ट का चुनाव कर सकते हैं?

हमारे मरीजों का यह अधिकार होता है कि वह अपने थेरेपिस्ट् से उनकी क्वालिफिकेशन एवं पूर्व अनुभव के साथ – साथ उनसे उपचार पद्धति के बारे में पूछ सकते हैं, साथ ही जेएससीपीटी(JSCPT) और आईएपी( IAP) में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है।

डॉ साहब अगर कोई मरीज़ को आपसे मिलना हो या ट्रीटमेंट कराना हो तो आप तक कैसे पहुँचेंगे , आप अपने हॉस्पिटल या क्लिनिक के बारे मे हमें बतायें।

मुझसे मिलना बहुत ही सरल और आसान है.. दो हॉस्पिटल में मेरे ” फिजिओथेरेपी एंड रिहैब सेंटर” हैं, एक ” लाइफ केयर हॉस्पिटल ” जो की बूटी मोड़ के पास मे स्थित हैं,और दूसरा ” सिनर्जी ग्लोबल हॉस्पिटल ” जो की जय प्रकाश नगर के अपोजिट, बरियातु रोड में स्थित हैं,जो पूरे राँची का सबसे बडा और सबसे बेहतर फिजिओथेरेपी चिकित्सक केंद्र में से एक हैं।

जिसमें ओर्थो, न्यूरो, कार्डियो से लेकर स्पोर्टस् तक की बेहतरीन फिजिओथेरेपी की सुविधा उपलब्ध हैं, और जो बच्चे चल नहीं सकते है , बोल नहीं सकते है , एवं जिनका मानसिक विकास नहीं हुआ हो, और जिन्हें बैठने में दिक़्क़त हो उनके लिए स्पेशल रूम और स्पेशल ट्रीटमेंट की व्यवस्था है।

और एक मेरा फ़िज़ियोथेरेपी डिपार्टमैंट देवानिका हॉस्पिटल (जो 250 बेडेड है) में शुरू होने वाला है जो एन्सीलरी चौक, तुपुदाना में स्थित है।

अगर कोई मरीज आपके सेंटर तक आने में असमर्थ है तो आपके पास अल्टरनेटिव उपाय क्या है?

हमारे पास क्वालिटी टीम आफ फिजियोथैरेपिस्ट है जिनमें सबकी अलग-अलग क्वालिफिकेशन है, जो मरीज आने में असमर्थ है उनको हॉस्पिटल में दी जाने वाली सारी फिजियोथैरेपी की सुविधा घर तक उपलब्ध कराई जाती है, जिसको “होम केयर थेरेपी” या “होम फिजिओथेरेपी फैसिलिटी” के नाम से संबोधित करते हैं।

साथ ही साथ जिन्हें हमारे फिजियोथैरेपी सेंटर में आकर ही इलाज़ करना हैं उनके लिए हमारी फिजियोथैरेपी एंबुलेंस हमेशा उपास्थित रहती है जिसके संपर्क हेतू इस नंबर(9110912544 ) पर संपर्क कर सकते हैं।

यह अस्पताल तक लाने एवं वापस घर तक छोडने तक की सुविधा प्रदान करती है।

इस साल का फिजियोथैरेपी डे का थीम क्या है?

इस साल वर्ल्ड फिजियोथैरेपी डे 2023 का थीम “अर्थराइटिस “है।

अर्थराइटिस के बारे में कुछ बताएं

अर्थराइटिस जोड़ों में होने वाली एक सुजनकारी बीमारी है, जिसमें जोड़ों में अत्यधिक दर्द एवं जोड़ों को घूमाने, मोड़ने और कोई भी फिजिकल गतिविधि करने में परेशानी होती है।

अर्थराइटिस का कारण क्या है?

इसके पीछे जीवन शैली और आहार की बहुत बड़ी भूमिका होती है साथ ही एज फैक्टर और हेरेडिटरी भी एक बड़ा कारण है।

कई बार अन्य रोगों की वजह से भी अर्थराइटिस होता है :-जैसे की मेटाबॉलिक सिंड्रोम, सिरोसिस,या गुर्दे से संबंधित बीमारी इत्यादि।

अर्थराइटिस के लक्षण क्या है?

जोड़ों में दर्द, लालिमा, सुजन,जकड़न, साथ ही चलने फिरने और काम करने में भी तकलीफ होना, जोड़ों में तीखी चुभन होना , रेंज ऑफ मोशन में कमी आना जॉइंट में डिफ़ॉर्मिटी ये सब आम तौर पर दिखाई देने वाले लक्षण हैं।

अर्थराइटिस से बचने के उपाय क्या है?

सबसे पहले जीवन शैली और आहार में बदलाव लाने की जरूरत होती है।

अपने वजन का ध्यान रखें क्योंकि ज्यादा वजन से आपकी घुटना तथा कुल्हो पर दबाव पड़ता है।

नियमित कसरत तथा जोड़ों की देखभाल और समय-समय पर अपने फिजियोथेरेपिस्ट से चेकअप कराए।

दर्द, सूजन या चलने में समस्या होने पर शुरुआत में ही डॉक्टर से सलाह ले बीमारी को बढ़ने ना दें।

अर्थराइटिस से बचने हेतू घर के लिए कोई उपचार?

जॉइंट के आसपास के मांसपेशियों को मजबूत करना मुख्य है, अगर घुटने की बात की जाए तो मुख्य रूप से क्वाड्रिसेप्स, हैमम्स्ट्रिंग और कॉल्फ की मांसपेशियों की स्ट्रैंथनिंग और स्ट्रेचिंग बहुत जरूरी है।

साथ ही साथ गर्म पानी का सेक लेना भी काफी असरदार होता है।

लेकिन अगर समस्या ज्यादा हो रही हो तो अपने फिजियोथेरेपिस्ट से जरूर संपर्क करें।

आजकल तो वर्किंग कल्चर है, उसमें अक्सर लोग अपने आप पर ध्यान नहीं दे पाते हैं तो इसमें आपका क्या सुझाव रहेगा?

मेरा सुझाव ये रहेगा की आमतौर पर आपको दैनिक दिनचर्या में एक्सरसाइज को अनिवार्य रूप से शामिल करना चाहिए।

साथ ही पोस्चर करेक्शन के साथ संतुलित आहार और ख़ुद को हाइड्रेट रखना चाहिए, और सबसे ज़रूरी कि बीच बीच में ज़रूरत के अनुसार अपने फिज़ियोथेरेपिस्ट से परामर्श लेते रहना चाहिए तभी आप ख़ुद को स्वस्थ एवं फिट रख पायेंगे।

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