लू से बचाव हेतु जारी किया गया दिशा निर्देश
चेतावनी के अनुसार झारखण्ड में अधिक गर्मी व लू चलने की संभावना
104 डेडिकेटेड चिकित्सीय सलाह हेल्पलाईन नम्बर पर कॉल कर ग्रीष्म लहर/लू (हीटवेव) से बचाव के उपाय के संबंध में जानकारी प्राप्त की जा सकती है
RANCHI: अबु इमरान, अभियान निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, झारखण्ड ने गर्मी के मौसम और लू को देखते हुए सभी जिला के उपायुक्त को इसके बचाव,
उपचार एवं आपदा प्रबंधन हेतु पत्र के माध्यम से दिशा निर्देश निर्गत किया गया है।
उन्होंने कहा है कि भारत सरकार मौसम विज्ञान विभाग, पृथ्वी कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्राप्त चेतावनी के अनुसार झारखण्ड में अधिक गर्मी व लू चलने की संभावना जतायी गई है।
राज्य में आम लोगों को लू से बचने के लिए त्वरित गति से प्रभावित कार्य योजना तैयार करने एवं संवेदनशील आबादी की पहचान करके विशेष सुरक्षा उपाय करने की बात कही गई है।
भीषण गर्मी से आम जन जीवन को प्रभावित होने से बचाने के लिए जिलों के समस्त विभाग विभागीय स्तर पर अपने संस्थानों एवं गैर सरकारी समन्वय कर लू से बचाव पर कार्य योजना बनायेंगे।
अभियान निदेशक ने लू से बचाव हेतु व्यापक रूप से प्रचार-प्रसार करने का भी निर्देश सभी जिलों को दिया है।
अभियान निदेशक द्वारा जलवायु परिवर्तन से सम्बन्धित एवं लू से बचने के लिए पूर्व से तैयारी, त्वरित प्रक्रिया एवं पूर्नवास का भी दिशा निर्देश दिया गया है।
स्वास्थ्य विभाग हेतु पूर्व तैयारी
हीट स्ट्रोक प्रबंधन हेतु जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (पीएचसी/युपीएचसी), सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (सीएचसी/युसीएचसी) एवं जिला अस्पताल में आवश्यक दवाओं,
फ्लूड्स, ओ.आर.एस. पैकेट्स एवं कूलिंग ट्रीटमेंट सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
हीटवेव केस मैनेजमेंट प्रोटोकॉल का पालन करने हेतु सभी चिकित्सकों, नर्सो एवं स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जाए।
सभी 108 एम्बुलेंस को निर्देशित करें कि वे हीटवेव आपात स्थिति में कोल्ड पैक, आईसीई क्यूब टॉवल एवं हाइड्रोजन सपोर्ट से सुसज्जित रहें।
104 डेडिकेटेड चिकित्सीय सलाह हेल्पलाईन नम्बर पर कॉल कर ग्रीष्म लहर/लू (हीटवेव) से बचाव के उपाय के संबंध में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
सी.एच.ओ. को निर्देशित किया जाए कि हीटवेव से प्रभावित व्यक्तियों की प्रारंभिक पहचान एवं प्राथमिक उपचार की व्यवस्था संस्था स्तर पर सुनिश्चित करें।
गर्भवती महिलाओं, हृदय रोगियों, मधुमेह रोगियों, उच्च रक्तचाप से ग्रस्त मरीजों एवं कुपोषित बच्चों की विशेष निगरानी की जाए, क्योंकि वे हीट स्ट्रोक के प्रति अधिक संवेदनशील होते है।
सभी शहरी एवं ग्रामीण स्वास्थ्य केन्द्रों में हीट हेल्थ डेस्क स्थापित की जाए, जहाँ से आम आदमी से लू बचाव और उपचार संबंधी जानकारी प्राप्त कर सकें।
त्वरित प्रतिक्रिया
मौसम विज्ञान विभाग द्वारा जारी लू चेतावनी (हीटवेव अलर्टस) के आधार पर विभाग के समस्त चिकित्सा संस्थानों को अलर्ट किया जाए
और सभी चिकित्सकों एवं पारामेडिकल स्टॉफ को तैयार रहने हेतु निर्देशित करें।
जिला अस्पताल में इमरजेंसी हीट स्ट्रोक यूनिट स्थापित किया जाए, जहाँ गंभीर मरीजों का त्वरित उपचार हो सके।
सभी एम्बुलेंस चालक एवं पैरामेडिक्स को थर्मल इमरजेंसी रिस्पॉन्स हेतु प्रशिक्षित किया जाए, ताकि हीट स्ट्रोक के मरीजों को सुरक्षित और शीघ्र उपचार मिल सके।
निर्माण स्थानों, ईंट भट्टों, बाजार क्षेत्रों एवं अन्य संवेदनशील स्थानों पर पैरामेडिकल मोबाइल युनिट्स (एम.एम.यू.) द्वारा लू से प्रभावित मरीजों को तत्काल प्राथमिक उपचार एवं ओआरएस उपलब्ध कराये जाने की व्यवस्था सुनिश्चित करें।
पुनर्वास
लू से प्रभावित व्यक्तियों की नियमित चिकित्सीय जाँच एवं फॉलो-अप किया जाए, ताकि पुनः लू के दुष्प्रभाव से बचाव हो सके।
सभी सरकारी अस्पतालों में हीट स्ट्रोक रिपोर्टिंग सिस्टम हीट रिलेटेड ईलनियस (एचआरआई) सर्विलांस लागू किया जाए, जिससे हीटवेव के दौरान आने वाले मरीजों का डाटा संकलित किया जा सके और आगे की रणनीति तैयाार की जा सके।
जिले में ओ.आर.एस. वितरण केन्द्रों की स्थापना की जाए, जहाँ आम नागरिकों को निःशुल्क ओ.आर.एस. एवं हाइड्रेशन पैक उपलब्ध कराया जाए।
सार्वजनिक स्थलों पर विशेष जागरूकता अभियान चलाकर नागरिकों को लू से बचाव, सही खान-पान एवं हाइड्रेजन के महत्व की जानकारी दी जाए।
गंभीर रूप से प्रभावित मरीजों की नियमित स्वास्थ्य निगरानी, पोषण सहायता एवं मनोवैज्ञानिक परामर्श संबंधित कार्ययोजना बनायी जाय।