मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम के जन्मोत्सव पर राजधानी के अलग-अलग हिस्सों से रविवार को भव्यतम शोभायात्राएं व मनोहरी झांकियां निकाली गयीं

रामजी की निकली सवारी …
रामलल्ला की दरबार की चमक से दर्शनार्थी पुलकित हो उठे
रामभक्तों की लीन-तल्लीन श्रद्धा से कण-कण होता रहा आलौकिक
रामभक्तों की आस्था से परे शहर का तिल-तिल होता रहा रोशन
सुदर्शन झांकियां लक्षण व सुन्दरता ऐसी, उमड़ा जनसमुद्र निहारता ही रह गया
RANCHI : हिन्दुओें की आस्था के प्रतीक मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम के जन्मोत्सव पर राजधानी के अलग-अलग हिस्सों से रविवार को भव्यतम शोभायात्राएं व मनोहरी झांकियां निकाली गयीं।
जो देर शाम निवारणपुर स्थित तपोवन मंदिर पंहुचीं। जहां इसका समापन हुआ। रामधुन के साथ-साथ अनुरंजक एवं विशाल सतरंगी महावीरी पताका, पारंपरिक अस्त्र-शस्त्र चालन का मन भावन प्रदर्शन एवं राम भक्तों की लीन-तल्लीन श्रद्धा से कोना- कोना आलौकिक होता रहा।
शहर के देवालयों में हजारों श्रद्धालुओं ने आज तड़के से ही जगतपिता श्री राम, हनुमान जी समेत अन्य विग्रहों का पूजन किया।
सुबह से देर शाम तक भक्तों का कारवां हनुमान जी के मंदिर की ओर रूख करता रहा। श्रद्धाभाव से भक्तों ने भगवान को दूध,जल, बेलपत्र,धतूरा, फूल सहित अन्य पूजा सामग्री अर्पित करने के साथ ही इच्छित फल की कामना की।
राजधानी के अलग-अलग हिस्सों में स्थापित मंदिर को ह्दयग्राही भव्य-श्रृंगार व सौन्द्रीयकरण से सुसज्जित किया गया था।
शहर के अलग-अलग श्री महावीर मंडल एवं संगठन के निकले मनोहरी झांकी में प्श्री राम भक्तों की आस्था से परे शहर का तिल-तिल रोशन होता रहा।
चारों ओर जय श्री राम, सीता मईया व जय हनुमान की जयघोष सुनाई पड़ा। विभिन्न सम्प्रदायों ने
प्रेम और भाईचारगी की मिशाल कायम की।
कारवां थमने के बजाय हर पल बढ़ता गया
भक्तों के कदम भले ही थक गये, लेकिन प्रभू श्री राम की कारवां थमने के बजाय हर पल बढ़ता गया।
हर कदम प्रभू के दरबार के समक्ष पहुच कर ठीठक सा गया।
अध्यात्म, आराधना, ईश्वर की भक्ति व शक्ति के सागर में श्रद्धालु डूबकी लगाते रहे।
सुबह से देर शाम तक ऐसा ही अद्भुत नजारा पूरी राजधानी में दिखा।
महावीरी पताका से माहौल पूरी तरह से राममय हो गया था। सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था जिला प्रशासन की ओर से की गयी।
राजधानी और इसके आस-पास के क्षेत्रों में भगवान श्री राम के जन्मोत्सव को मनाने की खासा तैयारी की गयी थी।
खुद-पर-खुद बढ़ते गये श्रद्धालुओं के कदम
प्रभू के सर्वदर्शन व पूजा-अनुष्ठान में कोई भी दर्शनार्थी पीछे रहना नहीं चाह रहे थे।
श्रद्धालुओं के कदम खुद-पर-खुद शोभायत्रा की शक्ल में प्रभू के दरबार की ओर बढ़ते गये।
रामलल्ला की दरबार की चमक से दर्शनार्थी पुलकित हो उठे।
इस दौरान श्रद्धालुओं को अध्यात्म के प्रादुभार्व का एहसास होता रहा। झांकी की विलक्षण और सुन्दरता ऐसी की हर कोई भगवान को निहारता रहा। पारंपरिक वाद्य यंत्र, शंख ध्वनि, ढोल-नगाड़ा एवं तासा की धुन की मधुरता के बीच शोभायात्रा में भक्त नाचते-गाते जय श्री राम की जयघोष से निम्मगन थे।
महामृत्युंजय महादेव मंदिर शिवपुरी हिनू
नारी शक्ति ने भी झुमाया अस्त्र-शस्त्र, राह उठी भक्तिमय
नारी शक्ति द्वारा अस्त्र-शस्त्र के साथ महामृत्युंजय महादेव मंदिर शिवपुरी हिनू से निकली
शोभायात्रा में भागीदारी एक अलग दृश्य प्रस्तुत करता रहा। महिलाएं भक्त अस्त्र-शस्त्र हाथो में लिये परिचालन का नजारा पेश किया।
महिलाओं ने भक्ति की अनूठी छटा बिखेरी। इस दौरान शहर की राह भक्तिमय हो उठी।
जय श्री राम व जय बजरंगबली के जयघोष के साथ नगर-भ्रमण कर नारी शक्ति पुन: मंदिर परिसर पहुंची। जहां श्रद्धालुओं का स्वागत किया गया।
वहीं, इन्द्रधनुषी रंगो की महावीरी पताका आर्कषण का केन्द्र बना रहा।
सुदर्शन झांकियो का दिखा अद्धभूत नजारा
समय बदला पर पौराणिक विरासत को याद कराती सुदर्शन झांकियो का अद्धभूत नजारा ऐसा कि उमड़ा जनसमुद्र निहारता ही रह गया।
रामधुन में हर कोई रमा हुआ था। लाखों श्रद्धालुओं की श्रद्धा, आस्था और विश्वास की गंगोत्री शोभायात्रा व दरबार में निर्मल धारा के रूप में बहती रही।
श्री राम की भव्यता में सारी प्रार्थनाएं विलीन होकर अगरू के धुए की तरह परसी। भक्ति की रोशनी में ईश्वर की कृपा से हर कोई निहाल था।
वहीं,मंदिर में पूजा आर्चना के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतारें सुबह से ही लगी रही।
मंदिर को हदयग्राही साज श्रृंगार से सुसज्जित किया गया था। पलक- पावड़े बिछाये आशीष पाने की उत्सुकता दर्शनार्थियोें में झलकता रहा।
राजधानी के अलग-अलग महावीर मंडलों द्वारा शोभायात्रा में छोटे बडे सतरंगी महावीरी पताको एवं श्री राम, मां सीता,अनुज लक्ष्मण और हनुमान जी के कट आउट का सजीव चित्रण से तपोवन मंदिर उत्सवी रंग से परवान चढता रहा।
सुरक्षा के मद्ेनजर चप्पे-चप्पे पर झारखण्ड़ पुलिस के महिला और पुरूष बल के जवान तैनात थे।
सजग नेतृत्वकर्ता का दे गया सदेंश
विविध संगठनों द्वारा शोभायात्रा के स्वागत के लिए दिखायी गयी तत्परता, स्वागत शिविरों का संचालन एवं जुलुस का पूरी तरह अनुशासित रहना भी अनुभवी सजग नेतृत्वकर्ता का सदेंश दे गया।
जिसे विशाल जनसमुद्र नियंत्रित रहा। जय श्री राम के रामधुन से प्रभु के दरबार अपनी सभ्यता की कहानी रच गयी।