Gyanvapi Case: हिंदू संगठनों ने ज्ञानवापी साइन बोर्ड पर लगाया मंदिर का पोस्टर, वायरल हो रहा ये Video
नई दिल्ली । वाराणसी जिला कोर्ट ने बुधवार ज्ञानवापी में अहम फैसला दिया है. अदालत ने ज्ञानवापी परिसर के व्यास तहखाना परिसर में हिंदू पक्ष को पूजा पाठ करने का अधिकार दिया है. अदालत के आदेश उत्साहित एक हिंदू संगठन ने विश्वनाथ मार्ग पर लगे साइन बोर्ड पर ज्ञानवापी मस्जिद के स्थान पर मंदिर का पोस्टर लगा दिया।
ज्ञानवापी मस्जिद के स्थान पर मंदिर का पोस्टर लगा दिया
खबरों के मुताबिक हिंदू संगठनों ने दो पहले साइन बोर्ड पर आपत्ति जताते हुए पर्यटन निदेशालय मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि साइन बोर्ड से ज्ञानवापी के आगे मस्जिद शब्द हटाया जाए. जिला कोर्ट पूजा- पाठ का आदेश मिलने के बाद हिंदू संगठने के लोगों ने साइन बोर्ड में ज्ञानवापी मस्जिद के स्थान पर मंदिर का पोस्टर लगा दिया. इसका वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो रहा है जिसमें कुछ लोग मस्जिद के स्थान पर मंदिर का पोस्टर लगाते दिखाई दे रहे हैं. हालांकि बाद में इस पोस्टर को हटा दिया गया है।
वाराणसी :- दशास्वमेध थाना क्षेत्र पर लगे ज्ञानवापी मस्जिद के बोर्ड पर हिंदू संगठनों ने लगाया पोस्टर – पुलिस प्रशासन ने तत्काल पोस्टर को हटाते हुए यथास्थिति कायम की @abplive @ABPNews pic.twitter.com/bAIHc6jRot
— Nishant Chaturvedi (@nishant1994cha1) February 1, 2024
ACP ने कही कार्रवाई की बात
दशास्वमेध थाना के काशी विश्वनाथ मार्ग लगे साइन बोर्ड में ज्ञानवापी मस्जिद के स्थान मंदिर का पोस्टर लगाए जाने के मामले को लेकर एबीपी लाइव ने दशास्वमेध ACP से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि हमें इसके बारे में सूचना मिली हमने तत्काल पूर्व की भांति उस बोर्ड को सही कर दिया है, उस पर लगे पोस्टर को हटा दिया है और सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से व्यक्ति की पहचान की जा रही है आगे सुनिश्चित कार्रवाई होगी।
पूजा-पाठ करने का अधिकार देने का आदेश दे दिया
वाराणसी की जिला अदालत ने बुधवार को ज्ञानवापी परिसर में स्थित व्यास जी के तहखाने में हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने का आदेश दे दिया. तो दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष ने अदालत के इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है. हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव के मुताबिक, जिला न्यायाधीश अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने तहखाने में पूजा पाठ करने का अधिकार व्यास जी के नाती शैलेन्द्र पाठक को दे दिया है. उन्होंने दावा किया कि इस तहखाने में वर्ष 1993 तक पूजा-अर्चना होती थी।