5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु के मुख्य कारण निमोनिया और डायरिया: डॉ प्रवीण
RANCHI: रांची में द हंस फाउंडेशन एवं स्वास्थ्य बिभाग के संयुक्त तत्वावधान में 17 -19 जनवरी तक चलने वाला तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ होटल AVN GRAND में किया गया।
जिसमें स्वास्थ्य देखभाल के महत्वपूर्ण पहलुओं पर गहन चर्चा और जागरूकता के साथ शुरुआत की।
इस कार्यक्रम का शुभारंभ क्षेत्रीय उपनिदेशक ने दीप प्रज्वलित कर किया और फाउंडेशन के प्रयासों की सराहना करते हुए इसे समाज के लिए वरदान बताया।
डॉ. प्रवीण (लेडी हार्डी मेडिकल कॉलेज न्यू दिल्ली निदेशक )ने अपने संबोधन में बच्चों के स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित किया।
उन्होंने बताया कि 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु के मुख्य कारण निमोनिया और डायरिया हैं।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन बीमारियों से बचने के लिए उचित इलाज और सावधानी जरूरी है।
डॉ. नवीन वर्णवाल ने किडनी स्वास्थ्य पर प्रकाश डाला और कहा कि स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर न केवल किडनी की बीमारियों को रोका जा सकता है, बल्कि पहले से प्रभावित किडनी की स्थिति को भी बिगड़ने से बचाया जा सकता है।
उन्होंने पोषण और व्यायाम के महत्व को रेखांकित किया।
डॉ. राजेश, जो जयपुर के आईआईएम प्रोफेसर हैं, ने गंभीर कुपोषण के मुद्दे पर बात की।
उन्होंने कहा कि गंभीर कुपोषित बच्चों की मृत्यु का खतरा सामान्य बच्चों से कई गुना अधिक होता है।
उन्होंने ऐसे बच्चों के लक्षण पहचानने और समय पर पोषण पुनर्वास केंद्र भेजने की आवश्यकता पर बल दिया।
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम हंस फाउंडेशन के चिकित्सकों को समाज के कमजोर वर्ग, विशेषकर बच्चों, के लिए और अधिक प्रभावी स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए तैयार करने का प्रयास है।
कार्यक्रम ने स्वास्थ्य देखभाल की व्यापक समझ और समाधान को बढ़ावा देने का उद्देश्य सफलतापूर्वक पूरा किया।