गुणवत्तायुक्त बीजोत्पादन बीएयू की पहली प्राथमिकता : डॉ ओंकार नाथ सिंह

बीएयू : बीसवीं बीज परिषद् की बैठक संपन्न

RANCHI: राज्य में प्रमाणित बीज की आवश्यकता एवं किसानों द्वारा गुणवत्तायुक्त बीज की मांग को देखते हुए वैज्ञानिकों को प्रजनक बीज उत्पादन में तत्पर एवं विशेष ध्यान देना होगा ।

गुणवत्तायुक्त बीजोत्पादन कार्यक्रम बीएयू की पहली प्राथमिकता है. इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर सबसे पहले बीएयू बीज परिषद् की बैठक आयोजित की जा रही है।

बीएयू अधीनस्थ सभी केन्द्रों के फार्म में आगामी खरीफ मौसम में उचित समय पर बीजोत्पादन कार्यक्रम लागु करनी होगी।

फार्म की शत-प्रतिशत भूमि का आपसी तालमेल से जेडआरएस एवं केवीके सदुपयोग करें।

उक्त बातें बीसवीं बीज परिषद् के अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कही।

कुलपति ने बीएयू अधीनस्थ सभी केन्द्रों को 15 अगस्त तक सम्पुर्ण फार्म क्षेत्र को आच्छादित करने का निर्देश दिया।

साथ ही बीज उत्पादन एवं आपूर्ति हेतु बीएयू एवं एनएससी के बीच एमएयू की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि बीएयू राज्य सरकार के कृषि विभाग का अंग है और कृषि विभाग द्वारा बीज आपूर्ति एवं अन्य कार्यक्रमों में राज्य के एकमात्र कृषि विवि ‘बीएयू’ को पहली प्राथमिकता देनी की आवश्यकता है।

विशेषज्ञ डॉ एसआर धुआ, पूर्व प्रधान वैज्ञानिक, आईसीएआर- नेशनल राइस रिसर्च इंस्टिट्यूट, कटक ने बीएयू द्वारा नये उन्नत फसल प्रजाति का विकास एवं नये प्रभेदों का सफल बीजोत्पादन कार्यक्रम की प्रशंसा की. उन्होंने बीज उत्पादन और बीज उठाव की दिशा में कृषि निदेशालय, झारखंड सरकार के सकारात्मक पहल की प्रशंसा की.
विशेषज्ञ डॉ दिनेश कुमार, कार्यपालक सचिव, इंडियन एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी एसोसिएशन एवं पुर्व उपमहानिदेशक (आईसीएआर) ने धान एवं दलहन क्षेत्र में राष्ट्रीय औसत से अधिक उत्पादकता के बावजूद विभिन्न फसलों के उत्पादन में कमी को चिंता का विषय है. किसानों को गुणवत्तायुक्त बीज उपलब्ध कराकर इस अंतर को कम करने और लाभप्रदता, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि की बात कही.
निदेशक अनुसंधान डॉ पीके सिंह ने सभी जेडआरएस एवं केवीके वैज्ञानिकों को हाल में रिलीज़ किये गये विभिन्न फसलों के नये उन्नत किस्मों को प्रत्यक्षण के माध्यम से प्रदर्शित एवं स्थानीय किसानों के बीच लोकप्रिय बनाने पर बल दिया।

उन्होंने पौध प्रजनक को स्थानीय मौसम परिवर्त्तन आधारित शोध को बढ़ावा देने तथा नये विकसित किस्मों का उचित ध्यान दिये जाने पर जोर दिया।

केन्द्रों में किसानों की आवश्यकता आधारित पौध सामग्री की आपूर्ति को प्राथमिकता देने की बात कहीं।
निदेशक, प्रसार शिक्षा डॉ जगरनाथ उरांव ने कहा कि बीजोत्पादन में बीज का सही समय पर उठाव एवं बीज मूल्य का भुगतान का नहीं होना एक बड़ी समस्या है।
मौके पर असीम रंजन एक्का, प्रभारी बीज प्रमाणीकरण एवं बीज जाँच, कृषि विभाग ने कहा कि झारखंड राज्य को प्रतिवर्ष 5-6 लाख क्विंटल अनुमानित सत्यापित बीज की आवश्यकता है. प्रदेश में सीड विलेज सुषुप्त है, जिसे प्रभावी करने की जरुरत है।

प्रदेश में झारखंड राज्य विकास निगम गठित की गयी है और इसके माध्यम से बीज उपलब्धता की समस्या का जल्द निदान संभव होगा।
संतोष कुमार, उपनिदेशक (कृषि) ने कहा कि सारथी पोर्टल के ब्लाक सीड चैन में पंजीकरण कराकर बीज की जानकारी दी जा सकती है. बीएयू एवं एनएससी मिलकर एमएयू के माध्यम से राज्य को प्रमाणित बीज मुहैया करायें. कृषि निदेशालय शत-प्रतिशत सहयोग करेगा।
डॉ आरएस चंदेल, क्षेत्र प्रबंधक, एनएससी ने बताया कि राज्य में किसानों की पारस्परिक सहभागिता से बीजोत्पादन कार्यक्रम उपयोगी साबित होगी।

एनएससी द्वारा झारखंड राज्य की आवश्यकता का 65-70 प्रतिशत सत्यापित बीज उपलब्ध कराया जाता है. बीएयू के सहयोग से बीज की उपलब्धता को राज्य में मजबूती दी जा सकती है.
परिषद् के सदस्य सचिव डॉ एस कर्माकार, निदेशक (बीज एवं प्रक्षेत्र) ने वर्ष 2022-23 के खरीफ एवं रबी मौसम के फसलों का बीजोत्पादन उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।

उन्होंने बताया कि विवि मुख्यालय, गोरियाकरमा, जेडआरएस एवं केवीके द्वारा कुल 243.4 हेक्टेयर भूमि में बीजोत्पादन कार्यक्रम चलाया गया।

खरीफ एवं रबी फसलों को मिलाकर 146.3 क्विंटल प्रजनक बीज, 2655.8 क्विंटल आधार बीज, 26.8 क्विंटल प्रमाणित बीज एवं 12.25 क्विंटल सत्यापित बीज तथा कुल 2841.1 क्विंटल बीज तथा एनएफएसएम पल्स हब के अधीन कुल 3795.45 क्विंटल बीज का उत्पादन किया गया।
प्लांट ब्रीडर डॉ रवि कुमार ने बताया कि विवि मुख्यालय स्थित फार्म में खरीफ एवं रबी मौसम में दस फसलों के कुल 30 उन्नत किस्मों का कुल 113.3 क्विंटल प्रजनक बीज का उत्पादन किया गया।

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