गाबा मे भारत की एतिहासिक सीरीज़ जीत को हुआ एक वर्ष पूर्ण, आइए जाने भारत ने कैसे किया गाबा का घमंड चूर।

आज भारत के औस्ट्रालिया दौरे मे एतिहासिक सीरीज़ जीत को एक वर्ष पूर्ण हो गए हैं। आज ही के दिन भारत ने गाबा के मैदान मे जीत दर्ज कर वह इतिहास रचा था जिसे लोग युगों युगों तक याद रखेंगे। ऑस्ट्रेलिया से 4 टेस्ट मैचों की श्रंखला को भारत ने अजिंक्य रहाणे की अगुवाई में ब्रिस्बेन के चौथे व अंतिम टेस्ट मैच मे फतेह  हासिल कर 2-1 से श्रंखला और बार्डर गावस्कर ट्रॉफी अपने नाम की थी। भारत को जीत के लिए 328 रनों का लक्ष्य मिला था जिसे भारत ने 7 विकेट खोकर हासिल किया था और 3 विकेट से मैच व श्रंखला जीत ली थी। 329 रनो की इस विजयी पारी में भारत की तरफ से शुभमान गिल ने 146 गेंदों पर 91 रन और ऋषभ पंत ने 138 गेंदों पर  नाबाद 89 रन बनाए थे।पहली पारी में भारतीय टीम की तरफ से शार्दुल ठाकुर ने 115 गेंदों पर 67 रन और वॉशिंग्टन सुंदर ने 62 रन बनाए थे।

 

ये थे गाबा के जीत के हीरो 

1. शुभमान गिल 

ओपेनिंग करते हुए शुभमान गिल ने भारत की जीत के लिए एक मजबूत नीव रखी , और उन्होने 146 गेंदों का सामना करते हुए 8 चौकों और 2 छक्कों की मदद से 91 रनों की अतुलनीय पारी खेली। मात्र 9 रनों से वे अपने पहले शतक से चूक गए।

2. ऋषभ पंत 

 

चौथी पारी में ऋषभ पंत ने अपने बल्ले से जादुई पारी खेलते हुए 9 चौकों और 1 छक्के की मदद से अविजित रहते हुए 138 गेंदों में 89 रन बनाकर सीरीज़ भारत की झोली में डाल दी। चौथी पारी में 328 रनों का लक्ष्य बना पाना बेहद मुश्किल रेहता है पर ऋषभ पंत ने उस दिन अपने इरादे बुलंद कर रखे थे और वे कुछ अलग ही मन बना कर आये थे और उनकी ताबड़तोड़ पारी की बदौलत ही हम जीत सके। उनकी यह पारी भारत की जीत के लिए निर्णायक साबित हुई।

3. मोहम्मद सिराज 

श्रंखला के दूसरे यानि मेलबोर्न टेस्ट मैच मे ही परदापरण करने वाले मोहम्मद सिराज अपना चौथा ही टेस्ट मैच में खेल रहे थे जिसमे उन्होने पहली पारी में 1 और दूसरी पारी में 5 विकेट लिए थे उस मैच में वे भारत के सबसे सीनियर बौलर थे जिन्होने केवल दो टेस्ट मैच खेले थे लेकिन फिर भी  टीम इंडिया ने इतिहास रच दिया था।

क्यों गाबा का टेस्ट मैच भारतीय क्रिकेट के लिए यादगार रहेगा ?

यह मैच यादगार इसलिए है क्योंकि जिस तरह भारत अपने पहले टेस्ट मैच में 36 रनों पर ही सिमट गया था और एक करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था उससे तो आगे की राह बड़ी कठिन दिखाई पड़ रही थी ,कप्तान विराट कोहली भी निजी करणों के चलते केवल पहला टेस्ट मैच ही खेल सके थे इसके बाद अजिंक्य रहाणे ने कप्तानी की बागडोर संभाली थी और पूरी श्रंखला के दौरान भारतीय खिलाड़ी चोटिल होकर बाहर हो रहे थे पहले टेस्ट मैच मे मोहम्मद शामी चोटिल होकर सीरीज़ से बाहर हो गए दूसरे मैच में उमेश यादव बाहर हुये और तीसरे में अश्विन,बुमराह और हनुमा विहारी।तब गाबा के मैदान में ऑस्ट्रेलिया पिछले 33 साल ,लगभग तीन दशकों से कोई भी मैच नहीं हारा था।  हमारे सबसे अनुभवी खिलाड़ियों की अनुपस्थिति के कारण भारतीय टीम बेहद कमजोर पड़ गई थी और अंतिम व निर्णायक मैच में हम एक युवा टीम के साथ उतरे पर इन सभी कठिनाइयों के बावजूद हम मैच जीत गए। गाबा की यह जीत उदाहरण है खिलाड़ियों के जोश ,जज़्बे,जुनून और हार ना मानने के साहस का। 

बार्डर-गावस्कर ट्रॉफी में ब्रिस्बेन के गाबा का किला फतेह करने पर भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने  टीम को 5 करोड़ रूपय का बोनस उपहार स्वरूप भी दिया था।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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