कोरोना के बड़ते मामले के बीच भी पुलिस प्रशासन की लापरवाही।
कोरोना के मामले पूरे प्रदेश में लगातार बढ़ते जा रहे है, इन बड़ते हुए मामले के बीच कई सामूहिक और सरकारी कार्यों को अंजाम दिया जा रहा है, जहा पर बड़ी मात्रा में लोगो की मौजूदगी रहती है। वैसे तो कहा जा रहा है कि ऐसे स्थलों पर पूरी तरह से कोरोन प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है, लेकिन जब हम वह पहुंचते है तो हमे लापरवाही साफ नज़र आती है।
ऐसा ही कुछ हमने अनुभव किया जब हम अपनी टीम के साथ भोपाल स्थित मानस भवन पहुंचे जहा पर चैंबर ऑफ कॉमर्स के चुनाव हो रहे थे। वहा पर भरी मात्रा में भीड़ मौजूद थी। आज जब कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हे चुनाव अधिकारियों का कहना था कि चुनाव कोरोना गाइडलाइन में ही करवाए जा रहे है।
सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ाई धजिया
जब हम वह पहुंचे तो हमने देखा की वहा इतनी संख्या में भीड़ मौजूद थी , सोशल डिस्टेंसिंग नामक शब्द की धाजिया उड़ चुकी थी। कई लोग बिना मास्क के घूम रहे थे। कोरोना को जैसे सब ने मजाक समझ रखा हो, और जब चुनाव आयोग से इस पर सवाल किया गया तो उन्होंने सारा ठीकरा प्रशासन के माथे फोड़ दिया।
जब हम इस मुद्दे को लेकर पुलिस प्रशासन के पास पहुंचे तो पहले तो वो हमसे बात करने में कतरा रहे थे। और जब उनसे सवाल किया गया तो उनका जवाब था कि जनता इसके लिए खुद जिम्मेदार है और अगर कुछ होता भी है तो भुगतेगी भी जानता ही। मतलब यहां साफ दिखाई दे रहा है कि प्रशासन ने अपने हाथ सीधे पीछे खीच लिए।
जहा एक तरफ सरकार दिन रात कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने को कह रही है तो वही कही न कही प्रशासन अपनी जिम्मेदारी से दूर भाग रहा है। अगर प्रशासन सख्ती बरते और अपना काम पूरी जिम्मेदारी से करे तो शायद चीजों में सुधार आए। लेकिन जिस तरह की स्थिति हमे देखने को मिल रही है, इसे हम प्रशासन की नाकामी कह सकते है।