त्योहार एक नाम अनेक, इस दिन है लोहड़ी उत्सव, देखें इसके बारें में ये रोचक बातें
नई दिल्ली। भारत में लोहड़ी(Lohri ) का त्योहार काफी धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से सिख धर्म(Sikhism) के लोगों के साथ जुड़ा हुआ है। इस पर्व को हिन्दु धर्म (Hindu religion) के लोग भी हर्षोल्लाष के साथ मनाते हैं। लोहड़ी का त्योहार मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) से एक या दो दिन पहले मनाया जाता है। आपको बता दें कि लोहड़ी को लाल लोई के नाम से भी जाना जाता है। हर साल लोहड़ी का त्योहार 13 जनवरी को मनाया जाता है। इस बार भी लोहड़ी 13 जनवरी (बुधवार) को है। लोहड़ी का त्योहार विशेषरूप से उत्तर भारत(India) के प्रसिद्ध पर्वों में से एक है। आमतौर पर इसे शरद ऋतु के अंत और मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है। जानें लोहड़ी उत्सव से जुड़ीं कुछ रोचक बातें।
त्योहार एक नाम अनेक
भारत के अलग-अलग प्रांतों में मकर संक्रांति के दिन या आसपास कई त्योहार मनाएं जाते हैं, जो कि मकर संक्रांति के ही दूसरे रूप हैं। उन्हीं में से एक है लोहड़ी। पंजाब और हरियाणा(Punjab and Haryana) में लोहड़ी का त्योहार काफी धूमधाम से मनाया जाता है।
लोहड़ी का अर्थ
लोहड़ी को पहले तिलोड़ी कहा जाता था। यह शब्द तिल और रोड़ी (गुड़ की रोड़ी) शब्दों के मेल से बना है, जो समय के साथ बदल कर लोहड़ी के रूप में फेमस हो गया है। मकर संक्रांति के दिन भी तिल-गुड़ (sesame-jaggery) खाने और बांटने का महत्व है। पंजाब के कई इलाकों मे इसे लोही या लोई भी कहते हैं।
कब मनाते हैं लोहड़ी
वर्ष की सभी ऋतुओं पतझड़, सावन और बसंत में कई तरह के छोटे-बड़े त्योहार मनाए जाते हैं, जिन में से एक प्रमुख त्योहार लोहड़ी है जो बसंत के आगमन के साथ 13 जनवरी, पौष महीने की आखरी रात को मनाया जाता है। इसके अगले दिन माघ महीने की सक्रांति को माघी के रूप में मनाया जाता है।
अग्नि का उसत्व
लोहड़ी की शाम को लोग लकड़ी जलाकर अग्नि के चारों ओर चक्कर काटते हुए नाचते-गाते हैं और आग में रेवड़ी, मूंगफली, खील, मक्के के दानों की आहुति देते हैं। अग्नि की परिक्रमा करते और आग के चारों ओर बैठकर लोग आग सेंकते हैं। इस दौरान रेवड़ी, खील, गज्जक, मक्का खाने का आनंद लेते हैं।
विशेष पकवान
लोहड़ी के दिन विशेष पकवान बनते हैं जिसमें गज्जक, रेवड़ी, मुंगफली, तिल-गुड़ के लड्डू, मक्के की रोटी और सरसों का साग प्रमुख होते हैं। लोहड़ी से कुछ दिन पहले से ही छोटे बच्चे लोहड़ी के गीत गाकर लोहड़ी हेतु लकड़ियां, मेवे, रेवडियां, मूंगफली इकट्ठा करने लग जाते हैं।
नववधू, बहन, बेटी और बच्चों का उत्सव
पंजाबियों के लिए लोहड़ी उत्सव खास महत्व रखता है। जिस घर में नई शादी हुई हो या बच्चा हुआ हो उन्हें विशेष तौर पर बधाई दी जाती है। घर में नव वधू या बच्चे की पहली लोहड़ी बहुत विशेष होती है। इस दिन बड़े प्रेम से बहन और बेटियों को घर बुलाया जाता है।
उत्सव मनाने की मान्यता
कहा जाता है कि संत कबीर की पत्नी लोई की याद में यह पर्व मनाया जाता है। यह भी मान्यता है कि सुंदरी और मुंदरी नाम की लड़कियों को राजा से बचाकर दुल्ला भट्टी नामक एक डाकू ने अच्छे लड़कों से उनकी शादी करवा दी थी।
खेत खलिहान का उत्सव
वैसाखी त्योहार की तरह लोहड़ी का सबंध भी पंजाब के गांव, फसल और मौसम से है। इस दिन से मूली और गन्ने की फसल बोई जाती है। इससे पहले रबी की फसल काटकर घर में रख ली जाती है। खेतों में सरसों के फूल लहराते दिखाई देते हैं।
पौराणिक मान्यता
पौराणिक मान्यता के अनुसार सती के त्याग के रूप में भी यह त्योहार मनाया जाता है। कथानुसार प्रजापति दक्ष के यज्ञ की आग में कूदकर शिव की पत्नी सती ने आत्मदाह कर लिया था तो उनकी याद में यह पर्व मनाया जाता है।
लोहड़ी का आधुनिक रूप
आधुनिकता के चलते लोहड़ी मनाने का तरीका बदल गया है। अब लोहड़ी में पारंपरिक पहनावे और पकवानों की जगह आधुनिक पहनावे और पकवानों को शामिल कर लिया गया है।
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