शुभ र्का करने से पहले क्यों करते हैं भगवान गणेश की पूजा? पौराणिक कथा से जानें रहस्य
नई दिल्ली। हिंदू धर्म में किसी भी शुभ और मांगलिक कार्य की शुरुआत गणेश पूजन (Ganesh Pujan) के साथ की जाती है। उसके बाद ही अन्य देवी-देवताओं को पूजा जाता है। वहीं, बुधवार का दिन विघ्नहर्ता गणेश जी को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश की पूजा-अर्चना (Lord Ganesh Puja) करने से गणेश जी भक्तों के जीवन से दुखों का नाश करते हैं। और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। लेकिन क्या आप जनाते हैं किसी भी शुभ कार्य करने से पहले सर्वप्रथम गणेश भगवान की पूजा ही क्यों की जाती है? आइए जानें इसकी कथा के बारे में।
जानें इसके पीछे की पौराणिक कथा
दैविक काल में देवताओं के विचारों में श्रेष्ठता को लेकर मतभेद हो गया। सभी देवता स्वंय को श्रेष्ठ बताने लगे और सर्वप्रथम पूजे जाने की बात कहने लगे। इस धर्म युद्ध में उपस्थित नारद जी ने कहा कि इसका उत्तर देवों के देव महादेव देंगे। नारद जी की बात सुन सभी देवी-देवता भगवान महादेव के पास पहुच गए।
देवताओं की बात सुनने के बाद भगवान शिव ने कहा कि आप सभी अपने वाहनों पर सवार होकर ब्रह्मांड की परिक्रमा करके आएं और आप में से सर्वप्रथम जो ब्रह्मांड की परिक्रमा कर वापस लौटेंगे, उन्हें ही विजयश्री प्राप्त होगी। इतना ही नहीं, उनकी पूजा सबसे पहले की जाएगी। महादेव की बात सुनते ही सभी देवता अपने वाहन पर सवार होकर परिक्रमा के लिए निकल पड़े। देवताओं की इस प्रतियोगिता में भगवान गणेश भी शामिल थे। लेकिन वे ब्रह्मांड की परिक्रमा के लिए नहीं गए।
बल्कि उन्होंने सिर्फ माता पार्वती और भगवान शिव की परिक्रमा कर हाथ जोड़कर आदिशक्ति और देवों के देव महादेव को प्रणाम कर लिया। कुछ समय बाद जब सभी देवता ब्रह्मांड की परिक्रमा कर लौट आए। महादेव ने भी भगवान गणेश को विजेता घोषित कर दिया। महादेव की बात सुन सभी को आश्चर्य होने लगा। उसके बाद महादेव ने देवताओं को गणेश जी को विजेता घोषित करने का कारण बताते हुए कहा कि माता-पिता से बढ़कर कोई नहीं है। माता-पिता की परिक्रमा करने के बाद किसी अन्य की परिक्रमा करने की जरूरत नहीं है। अतः आज से भगवान गणेश की सर्वप्रथम पूजा की जाएगी। तभी से हर शुभ कार्य में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
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