महिलाओं को अदालत से मिली आज़ादी:-2021 में कई ऐसे बड़े फैसले जो महिलाओं के जीवन में लाएंगे कई बदलाव

2021 का साल महिलाओं के लिए कई सारे बदलाव लेके आया है।इस साल अदालतों ने आठ ऐसे बड़े फैसले लिए, जो महिलाओं की जिंदगी बदलने वाले साबित होंगे।पड़िए पूरी रिपोर्ट।

1. मां का सरनेम इस्तेमाल करने का मिला अधिकार। : अगस्त 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस रेखा पल्ली ने एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा की अगर बच्चे की इच्छा है कि वह अपनी मां के नाम से जाना जाए तो उसे अपनी मां का सरनेम इस्तेमाल करने का पूरा अधिकार है।

2.महिलाओं को पहली बार एनडीए की परीक्षा देने का मौका मिला। : 22 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को एनडीए प्रवेश परीक्षा में शामिल होने की इजाज़त दी थी। इस फैसले को वापस लेने के लिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने प्रस्ताव रखा था कि महिलाओं को 2020 परीक्षा में बैठने को इजाज़त दी जाए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को एक साल टालने से इंकार कर दिया। और 14 नवंबर को लगभग 1,78,000 छात्राओ ने आवेदन किए जिसमे से 1000 छात्राओ ने परीक्षा क्लियर कर ली।

3.महिला आर्मी ऑफिसर को मिला परमानेंट कमिशन। : सुप्रीम कोर्ट में 25 मार्च को अपने फैसले में केंद्र सरकार व आर्मी अथॉरिटी से कहा कि वह शॉर्ट सर्विस कमीशन की महिला अधिकारियों को परमानेंट कमिशन दे। लेकिन जब इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ तब सुप्रीम कोर्ट ने अथॉरिटी को फटकार लगाई और केंद्र सरकार को इस विषय में जल्द निर्णय लेने को कहा, जिसके बाद परमानेंट कमिशन के लिए आवेदन करने वाली 36 महिला ऑफिसर में से 11 महिला ऑफिसर को शॉर्ट सर्विस कमीशन के लिए चुना गया ।

4.अपनी पसंद का जीवन साथी चुनने का मिला अधिकार। : हर व्यक्ति को यह फैसला लेने का पूरा हक है कि वो अपना जीवन किसके साथ बिताने जा रहे है। 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा की अगर कोई कपल अपनी मर्जी से शादी कर रहा है,तो उन्हे घरवालों और समाज की मंजूरी लेने की जरूरत नही है। अंतर जातीय और अंतर धर्म विवाह को समाज को स्वीकारना होगा। और जरूरत पड़ने पर कपल को सुरक्षा भी दी जानी चाहिए।

5.स्किन-टू-स्किन कॉन्टैक्ट न हो तब भी माना जाएगा यौन शौषण। : सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के इस आदेश को खारिज कर दिया जिसमे पीड़िता से स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट न होने पर अपराध को यौन उत्पीड़न में शामिल नहीं किया जा रहा था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश में यह साफ किया कि भले ही पीड़िता को अपराधी ने सीधे नही छुआ हे लेकिन अगर अपराधी गलत इशारे कर रहा है, tan bhi यौन शौषण का मामला दर्ज किया जाएगा।

6.बाहर कमाने वाले पुरुष और घर संभालने वाली महिला का काम बराबर। : जनवरी 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि घर संभालने वाली महिला का काम किसी भी कीमत पर घर से बाहर जाने वाले पुरुष से कम नहीं आंका जा सकता।

7.यौन उत्पीड़न में बेल के लिए अब अपराधी को नहीं बंधी जाएगी रखी। : जुलाई 2020 में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने यौन उत्पीड़न के अपराधी को बेल देने के लिए एक ऐसी कंडीशन रखी जिसमे पीड़िता से आरोपी को रखी बांधने को कहा गया लेकिन 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को खारिज करते हुए कहा कि वह बेल की कंडीशन में इसे संवेदनशील फैसले खासकर जब मामला यौन उत्पीडन का हो।

8.महिला के शरीर पर सेक्सुअल एक्ट करना भी माना जाएगा रेप। : अगस्त 2021 में एक नाबालिक लड़की के साथ यौन उत्पीड़न हुआ जिसमे आरोपी ने पीड़िता की जांघो के बीच में अपने जेनाइटल पार्ट को रब किया था।इस मामले पर सुनवाई करते हुए केरल हाईकोर्ट ने आईपीसी की धारा 375 के दायरे को बड़ाने की बात कही और कहा महिला के शरीर पर सेक्सुअल एक्ट करना भी रेप की श्रेणी में शामिल किया जाना चाहिए।

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