स्वास्थ्य विभाग में हुए टेंडर घोटाला की उच्च स्तरीय जांच और दोषियों पर मुकदमा दर्ज कराए मुख्यमंत्री: बाबूलाल मरांडी

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवम नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा
पूरा हेरफेर स्वास्थ्य मंत्री के संरक्षण में हुआ, इसलिए इन कंपनियों को हर बार “टेक्निकली क्वालिफ़ाई” घोषित कर दिया गया
RANCHI: स्वास्थ्य विभाग में हुए टेंडर घोटाला की उच्च स्तरीय जांच कराने और दोषियों पर मुकदमा दर्ज करने को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवम नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है।
स्वास्थ्य विभाग में टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से हुई सुनियोजित लूट एवं पक्षपातपूर्ण प्रकरण पर उच्च-स्तरीय जाँच कराने एवं विधि सम्मत कार्रवाई करने की बात कही है।
वर्तमान कार्यकाल में स्वास्थ्य विभाग की टेंडर प्रक्रिया को लेकर गंभीर अनियमितताओं के साक्ष्य मिले हैं।
उपलब्ध रिकॉर्ड और सार्वजनिक दस्तावेज़ों से यह स्पष्ट होता है कि सुनियोजित ढंग से प्रतिस्पर्धा को सीमित कर कुछ ख़ास चुनिंदा लोगों को अनुचित लाभ पहुँचाया गया।
यह मामला केवल वित्तीय अनियमितता नहीं, बल्कि शासन की पारदर्शिता और संवैधानिक सिद्धांतों पर भी गहरा सवाल खड़ा करता है।
इसलिए इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष और समयबद्ध जाँच आवश्यक है।
आपकी सरकार बनने के बाद में स्वास्थ्य विभाग ने जेम पोर्टल के तहत दिसम्बर 2024 से अब तक 11 टेंडर्स निकाले, जिनका विवरण निम्नलिखित है:-
1. GEM/2024/B/5748485 (सिविल सर्जन- दुमका)
2. GEM/2024/B/5758754 (सिविल सर्जन- रांची)
3. GEM/2025/B/5895644 (सिविल सर्जन- जामताड़ा)
4. GEM/2025/B/5919778 (सिविल सर्जन-जामताड़ा)
5. GEM/2025/B/5920544 (सिविल सर्जन- बोकारो)
6. GEM/2025/B/6012458 (सिविल सर्जन- बोकारो)
7. GEM/2025/B/6012441 (सिविल सर्जन- बोकारो)
8. GEM/2025/B/6013926 (सिविल सर्जन-दुमका)
9. GEM/2025/B/6017607 (सिविल सर्जन-देवघर)
10. GEM/2025/B/6021839 (सिविल सर्जन- सरायकेला खरसावाँ)
11. GEM/2025/B/6022047 (सिविल सर्जन-जामताड़ा)
उपरोक्त स्वास्थ्य विभाग के टेंडरों में पाए गए घोटाले के प्रमुख तथ्य आपके संज्ञान में लाना चाहता हूँ।
1. सभी 11 के 11 टेंडर सिर्फ तीन कंपनियों को दिए गए -Hind Infraproject Pvt-Ltd, M/s Bharat Art & Supplier और M/s Global Arts & Suppliers टेंडर्स बस चुनिंदा कंपनियों को देना कोई सयोंग नहीं बल्कि हेर-फेर करने का एक सुनियोजित प्रयोग है।
2. इन तीनों कंपनियों का पता एक ही है – Irgu Road, Pahari Tola, Ranchi जो इनकी मिलीभगत और फर्जीवाड़े की ओर इशारा करता है।
3. तीनों कंपनियों के निदेशक/प्रोप्राइटर एक ही परिवार के सदस्य हैं-ख्वाजा अब्दुल गुदिर अहमद बट, ख्वाजा मोहसिन अहमद और फ़रहान अहमद बट।
4. इनमें से ख्वाजा मोहसिन अहमद एक ही समय में दो कंपनियों के निदेशक/प्रोप्राइटर के रूप में दर्ज हैं, जो सभी टेंडरों को रद्द करने का सबसे बड़ा आधार हो सकता था।
लेकिन चूँकि पूरा हेरफेर स्वास्थ्य मंत्री के संरक्षण में हुआ, इसलिए इन कंपनियों को हर बार “टेक्निकली क्वालिफ़ाई” घोषित कर दिया गया।
5. सभी टेंडरों में इन कंपनियों की बोलियों (रेट्स) में केवल कुछ हज़ार का अंतर पाया गया, जिससे स्पष्ट है कि दरें एक ही जगह से तय की गईं।
6. जब भी किसी चौथी कंपनी ने भाग लेने की कोशिश की, उसे तकनीकी आधार पर अयोग्य घोषित कर बाहर कर दिया गया।
जो कंपनियाँ इस आपराधिक षड्यंत्र का हिस्सा ना रही हो उसे किसी भी तरह से पूरे चयन प्रक्रिया से ही बाहर कर दिया गया।
7. मेडिकल क्षेत्र के जानकारों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कंपनियों को किए गए भुगतान बाज़ार में उपलब्ध सामान और सुविधाओं की वास्तविक कीमत से कहीं अधिक हैं।
पूरी प्रक्रिया में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा की अनदेखी कर सरकारी धन का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग और बंदरबांट किया गया।
8. पूरी प्रक्रिया में जेम पोर्टल की नियमावली एवं प्रावधान (Clause 29) का खुला उल्लंघन हुआ, जिसके अनुसार एक ही व्यक्ति/समूह से जुड़ी कंपनियों की बोलियाँ तकनीकी स्तर पर निरस्त होनी चाहिए थीं, लेकिन यहाँ उल्टा इन्हें योग्य घोषित किया गया।
यदि उपरोक्त तथ्यों को जोड़कर देखा जाए तो स्पष्ट होता है कि एक ही परिवार ने एक ही पते पर तीन कंपनियाँ बनाकर पूरे घोटाले को अंजाम दिया।
पूरे झारखंड में 11 जिलों के 11 टेंडरों को मैनेज करना केवल तभी संभव है जब यह पूरा खेल स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी के संरक्षण में हुआ हो।
जेम पोर्टल की प्रक्रिया के Clause 29 के अनुसार यदि एक व्यक्ति दो या अधिक कंपनियाँ बनाकर बिडिंग में हिस्सा लेता है, तो तकनीकी जाँच (Technical Scrutiny) के दौरान ही उसका टेंडर स्वतः निरस्त कर दिया जाना चाहिए।
लेकिन यहाँ तो नियमों को उलटकर अयोग्य कंपनियों को ही योग्य घोषित कर भारी संख्या में टेंडर अवार्ड कर दिया गया।
इतने बड़े पैमाने पर यह गोरखधंधा बिना मंत्री के संरक्षण के संभव ही नहीं है।
मंत्री इरफान अंसारी ने न केवल अपने विभाग में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया, बल्कि जानबूझकर अपने खास लोगों को टेंडर बाँटे।
मुझे यह भी विश्वसनीय सूचना मिली है कि उपरोक्त तीनों कंपनियाँ मात्र शेल कंपनियाँ हैं, जो सिर्फ दिखावे के लिए बनाई गई हैं।
वास्तविक लाभार्थी स्वास्थ्य मंत्री से सीधे जुड़े कुछ दूसरे प्रभावशाली लोग हैं।
बाबूलाल मरांडी ने इस मामले में एफ़आइआर (FIR) करा कर पूरे प्रकरण की उच्च-स्तरीय निष्पक्ष जाँच कराने की मांग की है। एवं दोषी पाए जाने पर कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाय।