रोबोटिक कार्डियक सर्जरी श्रेयस्कर: डाॅ ललित कपूर

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वार्षिक सम्मेलन कार्डयाबकाॅन २०२५ सम्पन्न: डाॅ जगनाणी
गट माईक्रोबायोटा स्वास्थ्यवर्धक: डाॅ आशुतोष मिश्र

टाईप वन मधुमेह में हरी सब्जियों के साथ पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन का सेवन शारिरिक विकास के लिए आवश्यक: डाॅ  मीनाक्षी 

RANCHI: विगत वर्षों की भाँति इस वर्ष भी कार्डियो-रीनल-मेटाबाॅलिक सिण्ड्रोम का वार्षिक सम्मेलन कार्डयाबकाॅन २०२५ सम्पन्न हो गया।

सम्मेलन का आरम्भ गणेश वन्दना एवं दीप प्रज्ज्वलित करने से हुआ।

प्रारम्भिक सम्भाषण में डाॅ मीनाक्षी ने टाईप वन मधुमेह में पौष्टिक आहार का महत्व बताते हुए कहा कि हरी सब्जियों के साथ पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन का सेवन शारिरिक विकास के लिए आवश्यक है।

डाॅ श्वेता जयसवाल ने बाताया कि वृक्क रोग में वनस्पति-जन्य प्रोटीन माँसाहार की अपेक्षा अधिक लाभप्रद सिद्ध हुआ है।

सम्मेलन के संयोजक सचिव एवं संचालक डाॅ वी के जगनाणी ने मोटापे को मेटाबाॅलिक डिस्ऑर्डर बताते हुए कहा कि भारत में शिथिल जीवनशैली एवं पाश्चात्य खान-पान के कारण तेजी यह से बढ़ रहा है एवं लगभग २० % लोग मोटापे से ग्रसित हैं जो कि कार्डियो-वैस्कुलर रिस्क को ४० % तक एवं उनसे होने वाली मृत्यु को लगभग २० % बढ़ा देता है।

राँची की सुप्रसिद्ध मधुमेह विशेषज्ञ डाॅ नुपुर वाणी को उनके सामाजिक योगदान के लिए इस सम्मेलन में फेलो ऑफ कार्डायबकाॅन से सम्मानित किया गया।

उन्होंने अपने फेलोशिप सम्भाषण में जवराँत्र की गड़बड़ी के कारण मोटापा एवं मधुमेह तथा उसके उपचार में नियमित जीवनशैली एवं नूतन ओषधि जीएलपी१आरए एवं जीआईपी की उपयोगिता बताई।

राँची के सुप्रसिद्ध दन्त रोग विशेषज्ञ एवं अधिवक्ता डाॅ रोहित अग्रवाल ने व्याख्यान देते हुए उपचार करते समय रोगी एवं उनके सम्बन्धियों को वस्तुस्थिती बताना आवश्यक बताया ।

धनबाद के डाॅ अजय पटवारी ने आने वाले समय में मधुमेह के उपचार में पिल्ल बर्डन कम करने के लिए संयोजन ओषधि का महत्व बताया।

इस से उपचार के मूल्य में भी कमी आयेगी एवं सहक्रियात्मक लाभ भी मिलेगा।

राँची के सुप्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डाॅ प्रवीण श्रीवास्तव ने हार्ट फेल्योर के उपचार में ४ स्तम्भ एवं इनके समायोजन पर व्याख्यान प्रस्तुत किया।

बोकारो की डाॅ रेणुका वर्मा ने लाडा: मधुमेह १.५ में व्यायाम एवं जीवनशैली के साथ आवश्यकतानुसार ओषधि के उपयोग से होने वाले परिहार के लाभ को स्पष्ट किया।

कार्डयाबकाॅन के राष्ट्रीय सचिव डाॅ आशुतोष मिश्र ने नूतन बायोमारकर्स से मधुमेह एवं जटिलताओं का पूर्वानुमान के लाभ को बताया।

कलकत्ता के सुप्रसिद्ध हृदय रोग शल्य चिकित्सक डाॅ ललित कपूर ने कार्डयाबकाॅन वक्तृत्व में रोबोटिक कार्डियक सर्जरी को पारम्परिक शल्य चिकित्सा की तुलना में सटीक, श्रेयस्कर एवं शीघ्र उपचारात्मक बताया।

पटना के डाॅ कुणाल कुन्दन ने दीर्घकालिक वृक्क रोग (क्राॅनिक किडनी डिजीज = सी के डी) के महत्वपूर्ण कारक अनियन्त्रित रक्तचाप एवं रक्त शर्करा स्तर को अविलम्ब नियमित नियन्त्रित करना को आवश्यक बताया तथा नूतन ओषधि एसजीऐलटी२इन्हिबीटर्स तथा डीपीपी४इन्हिबीटर्स को उपयोगी बताया।

राँची के सुप्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डाॅ अमित चतुर्वेदी ने हार्ट फेल्योर के उपचार में चार स्तम्भ में एक एसजीऐलटी२इन्हीबीटर्स के उपयोग का लाभ बताया।

सुप्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ डाॅ प्रियङ्का श्रीवास्तव ने गर्भाधान के समय हाईपोथायराॅयड की पहचान एवं उपचार को भ्रूण के विकास के लिए आवश्यक बताया अन्यथा मन्दबुद्धि होने की सम्भावना बढ़ जाती है ।

कार्डयाबकाॅन की झारखण्ड शाखा के निवर्तमान अध्यक्ष एवं सुप्रसिद्ध मधुमेह विशेषज्ञ डाॅ वी के ढाण्ढनिया ने मोटापे में नियन्त्रित पौष्टिक आहार, नियमित व्यायाम एवं नूतन ओषधि जीएलपी१आरए की उपयोगिता बताई।

एवं, मधुमेह में भोजनोपरान्त रक्त शर्करा नियन्त्रण में एजीआई की उपयोगिता बताई।

सुप्रसिद्ध श्वसन रोग विशेषज्ञ डाॅ योगेश जैन ने अनियन्त्रित मधुमेह में फफून्द को फेफड़ों के रोग का कारक एवं उपचार बताया ।

अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में राँची के सुप्रसिद्ध मधुमेह विशेषज्ञ डाॅ अजय छाबड़ा ने मधुमेह परिहार (रेमिशन) में भोजन की गुणवत्ता एवं नियमित व्यायाम अनिवार्य है।

उन्होंने नूतन ओषधि ओरल सिमाग्लूटाईड को मेटाबाॅलिक सिण्ड्रोम में हृदय, मधुमेह, वृक्क, वसा एवं मोटापा में लाभप्रद बताया।

उन्होंने यह भी बताया कि वृक्क रोग उपचार में फिनरीनाॅन को अनुसन्धान में उपयोगी पाया गया है ।

हार्ट फेल्योर में पाँचवे स्तम्भ की चर्चा करते हुए सुप्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डाॅ रवि कचेला ने वेरिसीगुएट को उपयोगी बताया।

वृक्क रोग विशेषज्ञ डाॅ पङ्कज मिश्र ने दीर्घकालिक वृक्क रोग में रास इन्हीबिशन की उपयोगिता एवं क्रीएटिनीन तथा पोटेशियम पर निगरानी को अनिवार्य बताया।

सुप्रसिद्ध वृक्क रोग विशेषज्ञ डाॅ अशोक वैद्य ने वृक्क एवं हृदय के संरक्षण में फिनरीनाॅन एवं एसजीऐलटी२इन्हिबीटर्स को उपयोगी बताया।

बड़ोदरा के हृदय रोग विशेषज्ञ डाॅ प्रग्नेश शाह ने ई सी जी के माध्यम से हृदय रोग की पहचान एवं आवश्यकतानुसार त्वरित उपचार के लाभ को स्पष्ट किया।

इस सम्मेलन में डाॅ आभा, डाॅ सोनिया, डाॅ ममता, डाॅ स्नेहा, डाॅ राजेश अग्रवाल, डाॅ एस कुमार, डाॅ विजय, डाॅ अल्का ग्वालरे, डाॅ आनन्द जगनाणी, डाॅ पी के गुप्त, डाॅ रमेश बजाज,

डाॅ आनन्द झा, डाॅ पाण्डे रवि भूषण प्रसाद, डाॅ अजीत, डाॅ कामेश्वर, डाॅ राश कुजूर, डाॅ सुनील रूँगटा, डाॅ अन्शुमान पाण्डे, डाॅ अशोक सिन्हा, डाॅ त्रिलोचन सिंह, डाॅ मनोज राय, डाॅ आर के श्रीवास्तव, डाॅ गजेन्द्र, डाॅ एस के पाठक, डाॅ भगत,

डाॅ गौतम मैत्रा, डाॅ हिमालय झा, डाॅ रून्नु, डाॅ विपुला वर्मा, डाॅ शम्भु सिंह, डाॅ के पी दारूका, डाॅ अरूण शर्मा, डाॅ पी बी सिंह, डाॅ राकेश आर्य,

डाॅ ए जी दास गुप्त, डाॅ वी के सिन्हा, डाॅ राकेश कुमार, डाॅ शान्ति, डाॅ शशि, डाॅ विशाल भटनागर,

डाॅ डी के एल चौहान, डाॅ विरेन्द्र सिंह, डाॅ धनञ्जय, डाॅ तेतरवे, डाॅ डी के सिंह, डाॅ बर्णवाल एवं अन्य गणमान्य चिकित्सकों ने विभिन्न सत्रों की अध्यक्षता की एवं टिपण्णी कर सम्मेलन में अपना योगदान प्रदान किया ।

कार्डयाबकाॅन २०२५ के सुचारू संचालन में आकाश, आबिद, अभिषेक, अखिलेश, अमृत, अनूप, अश्विनी, अतुल, अविनाश, एजाज,

चन्दन, चित्तरंजन, दीपक, देबर्घा, हर्ष, जितेन्द्र, कौशिक, कृष्ण, समीर, मनवेन्द्र, हसन, सदाकत, मोहित, प्रदीप, राहुल, राघवेन्द्र, राजन, राणा, रणजीत, रवि, समरजीत, सञ्जीव, सन्तोष,

सत्यनारायण, सतवनत, शम्भू, तनवीर, शान्तनु, शिवनन्दन, श्यामनन्दन, शुभदीप, सुनील, उज्जवल, योगेश, नरेन्द्र जी एवं सतीश जी तथा ट्रायोमेड, आरीन, मेडले, बेयर, ऐमन,

नोवो नाॅरडिस्क, जेस्टिक, एण्ड्योरा, बासदेव, इण्टास एवं बोरिंगर ईङ्ग्लहम का महत्वपूर्ण योगदान रहा। यह चिकित्सीय सम्मेलन श्रेयस्कर उपचार में लाभप्रद सिद्ध होगा।

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