राँची सदर अस्पताल में डॉक्टरों से मारपीट पर झासा की आपात बैठक मे सुरक्षा व्यवस्था की मांग तेज

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चिकित्सकों ने चेतावनी दी कि अगर दर्ज प्राथमिकी पर कड़ी कार्रवाई नहीं होती तो आंदोलन होगा, जिससे आपातकालीन सेवाएं भी हो सकती हैं बाधित

RANCHI : सदर अस्पताल में 26 और 28 सितंबर को हुई डॉक्टरों व चिकित्सा कर्मियों से मारपीट व अभद्र व्यवहार की घटनाओं को लेकर आज झासा, रांची की आपात बैठक बुलाई गई।

बैठक में चिकित्सकों ने इन घटनाओं की कड़ी निंदा की और सुरक्षा इंतजाम पर गंभीर चिंता जताई।

झासा प्रतिनिधियों ने सिविल सर्जन और उपाधीक्षक, रांची से वार्ता कर अपनी मांगें रखीं।

इनमें अस्पताल परिसर में प्रशिक्षित गार्ड की नियुक्ति, सीसीटीवी कैमरों का दायरा बढ़ाने और सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करने की मांग शामिल रही।

बैठक में यह भी तय किया गया कि घटनाओं की जानकारी मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य सचिव, हाई कोर्ट रजिस्ट्रार, जिला प्रशासन और मीडिया को दी जाएगी।

चिकित्सकों ने चेतावनी दी कि अगर दर्ज प्राथमिकी पर कड़ी कार्रवाई नहीं होती तो आंदोलन होगा, जिससे आपातकालीन सेवाएं भी बाधित हो सकती हैं।

हालांकि, व्यापक हित और त्योहारी सीजन को देखते हुए फिलहाल हड़ताल स्थगित की गई है। झासा ने साफ किया कि अगर सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हुई तो आंदोलन की राह अपनाई जाएगी।

इन घटनाओं से पूरे राज्य के डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ में गहरा आक्रोश है।

 

चिकित्सकों पर बढ़ते हमलों से आक्रोशित झारखंड आईएमए, सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग

हाल के दिनों में चिकित्सक और चिकित्सा कर्मियों पर हमलों की बढ़ती घटनाओं ने स्वास्थ्य व्यवस्था को हिला दिया है।

राज्य आईएमए ने इन घटनाओं पर गहरा आक्रोश जताते हुए कहा कि यह सभ्य समाज के लिए अत्यंत चिंताजनक और भयावह स्थिति है।

आईएमए ने कहा कि जहां रांची सदर अस्पताल लगातार राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धियां दर्ज कर राज्य का नाम रोशन कर रहा है, वहीं डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ पर हमले बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और निराशाजनक हैं।

राज्य आईएमए महासचिव डॉ प्रदीप कुमार सिंह ने सरकार से तुरंत और कठोर कार्रवाई की मांग की है ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।

साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि आईएमए, झासा के आंदोलन का पूर्ण समर्थन करता है और हर संघर्ष में उनके साथ खड़ा रहेगा।

चिकित्सकों पर हमले अब राज्यव्यापी आंदोलन का रूप ले सकते हैं, अगर ठोस कदम तुरंत नहीं उठाए गए।

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