28 वर्षों के बाद भी किसी और की आंखों से रौशन है स्नेह लता की जिंदगी

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फोटो कैप्शन :- 28 वर्ष पहले कॉर्निया प्रत्यरोपण से लाभान्वित हुई महिला के साथ डॉ. बी. पी. कश्यप और डॉ. भारती कश्यप

 

RANCHI: कॉर्निया प्रतिरोपित मरीज स्नेह लता ने कहा की 28 वर्षों पहले जिनकी आँखों से मेरी जिंदगी रौशन हुई उनका मैं शत – शत नमन करती हूँ।

मेमोरियल आई अस्पताल के डा बी .पी. कश्यप और डॉ भारती कश्यप ने मेरी अंधेरी हो चुकी जिन्दगी मे  कार्निया प्रत्यारोपण कर  जीवन मे रौशनी भर दी।

जसपुर(छत्तीसगढ) की रहने वाली स्नेह लता ने अपनी आपबीती जिन्दगी की कहानी साझा किया। उन्होने बताया कि

जब मैं छोटी सी बच्ची थी, 10 साल की थी, उस समय मेरी आंखों में ट्यूबलाइट की रौशनी में पढ़ते-पढ़ते मेरी आँख में एक कीड़ा चला गया था।

जिसपर मैंने अपनी आँखों को जोर से मसल दिया, उसके बाद फिर मुझे समझ में नहीं आया, मैं काफी छोटी थी।

उस समय मैं जसपुर में रहती थी, बाद में मैंने देखा कि मेरी आँखें लाल हो गई हैं। और फिर धीरे-धीरे मेरी आंखों के सामने का जो काला भाग है, जिसे कॉर्निया कहते हैं वह सफेद होने लगा।

मैंने बहुत से डॉक्टर्स को दिखलाया लेकिन मेरी पुतली की सफेदी गई नहीं।

उस समय संयुक्त बिहार-झारखंड का पहला नेत्र प्रत्यारोपण वर्ष 1996 में रांची में डॉ. बी. पी. कश्यप और डॉ. भारती कश्यप के द्वारा हुआ था और जिसका मीडिया में बहुत प्रचार हुआ था,

जिसके माध्यम से मुझे पता चला कि कश्यप मेमोरियल आई हॉस्पिटल, रांची में कॉर्निया प्रत्यारोपण यानि कि पुतली बदलने का ऑपरेशन शुरू हो गया है।

यह पता चलते ही मैं छत्तीसगढ़ से रांची आई।

इसके बाद मैंने कश्यप मेमोरियल आई बैंक में अपने आँख की पुतली बदलने के लिए अपना पंजीकरण करवाया।

फिर कुछ ही महीनों के इंतजार के बाद डॉ भारती कश्यप मैडम ने मुझे कॉल करके बुलाया और यहां पर डॉ बी.पी कश्यप और डॉ भारती कश्यप ने मेरे आँख की पुतली बदली और मुझे फिर से सबकुछ पहले जैसा दिखाई देने लगा।

मेरी आँखों का कॉर्निया प्रत्यारोपण/चेंज होने के बाद ही मेरी शादी हो पायी, नहीं तो मेरी शादी ही नहीं होती।

क्योंकि मेरी कॉर्निया इतनी सफेद हो गई थी, की फोटो में भी क्लियरली नजर आती थी। नया-नया कार्निया प्रत्यारोपण शुरू हुआ था,

मीडिया के माध्यम से ही मुझे जानकारी मिला था और हम छत्तीसगढ़ से इलाज के लिए रांची आए थे।

उस समय कॉर्निया को सुरक्षित रखने का लम्बे समय तक सुरक्षित रखने का मीडियम नहीं आया था, तो उस समय जसपुर से रांची आने में 3:30 घंटे लगते थे जिसे हम ने 2 घंटो में पूरा किया।

और हॉस्पिटल आ गए, क्योंकि मात्र 24 घंटो के अंदर ही कॉर्निया प्रत्यारोपण की प्रक्रिया पूरी करनी होती थी।

कार्निया प्रत्यारोपण के बाद मेरा फोटो भी अच्छा आने लगा और लड़के वाले जब मुझे देखने आए तो उनलोगों ने भी मुझे बहुत पसंद किया।

और फिर मेरी शादी हो गई और मैं जयपुर चली गई और आज भी मैं जयपुर में जिस भी डॉक्टर को दिखाती हूं, वह मुझसे कहते है की आप का कॉर्निया प्रत्यारोपण बहुत ही अच्छा हुआ है।

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