रिम्स-2 के निर्माण को नगड़ी के बजाय नेमरा की बंजर भूमि पर करने और अस्पताल का नाम स्व. शिबू सोरेन के नाम पर करने हेतु मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को विजय शंकर नायक ने लिखा पत्र 

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RANCHI: आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने कहा कि नगड़ी के आदिवासी मूलवासी रैयत और झारखंडी समाज रिम्स-2 (रांची इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज-2) के निर्माण के संबंध में एक महत्वपूर्ण और रचनात्मक प्रस्ताव आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं।

नगड़ी में प्रस्तावित रिम्स-2 के लिए 110 एकड़ उपजाऊ कृषि भूमि के अधिग्रहण के खिलाफ स्थानीय रैयतों का आंदोलन चल रहा है।

यह भूमि 250 से अधिक आदिवासी परिवारों की आजीविका का आधार है, और इसके अधिग्रहण से उनकी खेती और जीवन पर गंभीर संकट उत्पन्न होगा।

श्री नायक ने आगे कहा कि मेरा मानना है कि रिम्स-2 जैसी महत्वाकांक्षी परियोजना का निर्माण होना चाहिए, क्योंकि यह झारखंड के लिए स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।

लेकिन, यह कार्य आदिवासियों और मूलवासियों की आजीविका की कीमत पर नहीं होना चाहिए।

इसलिए, हम निम्नलिखित प्रस्ताव आपके विचारार्थ प्रस्तुत कर रहे हैं जो झारखंड और आदिवासी मूलवासी के हितो का और दिशोम गुरु शिबू सोरेन को सच्ची श्रदांजलि के लिए समर्पित है :

1.निर्माण स्थल का परिवर्तन
रिम्स-2 का निर्माण नगड़ी की उपजाऊ कृषि भूमि के बजाय स्व. शिबू सोरेन की जन्मस्थली नेमरा की बंजर भूमि पर किया जाए।

यह न केवल नगड़ी के रैयतों की आजीविका को बचाएगा, बल्कि बंजर भूमि का उपयोग कर एक रचनात्मक विकास को भी बढ़ावा देगा।

2.अस्पताल का नामकरण
हम प्रस्ताव करते हैं कि इस सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल का नाम झारखंड आंदोलन के प्रणेता और आदिवासियों के मसीहा स्व. गुरु वीर दिशोम शिबू सोरेन के नाम पर रखा जाए।

यह उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी, जिन्होंने जीवनभर आदिवासी हितों और झारखंड की अस्मिता के लिए संघर्ष किया।

3. लाभ और प्रभाव
– नगड़ी के आदिवासी रैयतों की जमीन और आजीविका सुरक्षित रहेगी।
– नेमरा की बंजर भूमि का उपयोग कर क्षेत्र का विकास होगा।
– स्व. शिबू सोरेन की स्मृति में एक विश्वस्तरीय अस्पताल उनकी विरासत को अमर बनाएगा।
– यह कदम सरकार और रैयतों के बीच विश्वास को मजबूत करेगा।

हम इस पत्र के माध्यम से आपसे विनम्र अनुरोध करते हैं कि इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार करें और निम्नलिखित कदम उठाएँ:
– नगड़ी में रिम्स-2 के निर्माण को तत्काल रोककर स्थानीय रैयतों के साथ संवाद स्थापित करें।
– नेमरा में बंजर भूमि की उपयुक्तता का सर्वेक्षण कर परियोजना को वहां स्थानांतरित करें।
– अस्पताल का नाम “गुरु वीर दिशोम शिबू सोरेन सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल” रखने की घोषणा करें।

यह कदम न केवल नगड़ी के आदिवासी मूलवासी रैयतों की आजीविका को बचाएगा, बल्कि झारखंड के विकास और स्व. शिबू सोरेन की स्मृति को सम्मान देने में भी मील का पत्थर साबित होगा।

हमारी अपील है कि आप इस दिशा में त्वरित और सकारात्मक निर्णय लें, ताकि विकास और सामाजिक न्याय के बीच संतुलन स्थापित हो सके।

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