डायरिया (दस्त) नवजात शिशुओं में एक आम लेकिन गंभीर समस्या: डॉ राजेश कुमार

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RANCHI:   बालपन चिल्ड्रेन अस्पताल( बुटी रोड, रांची) के डायरेक्टर और प्रसिद्ध  शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ राजेश कुमार ने कहा कि   डायरिया (दस्त) नवजात शिशुओं में एक आम लेकिन गंभीर समस्या हो सकती है।

जो समय पर ध्यान न देने पर डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) और अन्य स्वास्थ्य जटिलताओं का कारण बन सकती है।

विशेष बातचीत मे डॉ राजेश कुमार ने बताया कि जन्म के पहले छह महीने शिशु की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, इसलिए स्वच्छता, सही खानपान और समय पर उपचार बेहद जरूरी है।

डॉ राजेश कुमार ने नवजात को डायरिया होने के कारण, बचाव के तरीके, लक्षण और उपचार के बारे मे विस्तार से जानकारी दी।

1. डायरिया के कारण

गंदगी और संक्रमण: अस्वच्छ वातावरण, संक्रमित हाथ, या दूषित पानी का उपयोग।

दूध पिलाने में लापरवाही: बोतल का सही तरीके से न धोना या ब्रेस्टफीडिंग के दौरान स्वच्छता का ध्यान न रखना।

वायरल, बैक्टीरियल या परजीवी संक्रमण: जैसे रोटावायरस, ई.कोलाई आदि।

एलर्जी या दूध असहिष्णुता: कुछ बच्चों को गाय का दूध या फार्मूला दूध पचाने में कठिनाई होती है।

2. बचाव के तरीके

केवल स्तनपान: जन्म के पहले छह महीने तक केवल माँ का दूध पिलाएं, क्योंकि इसमें रोग प्रतिरोधक तत्व होते हैं।

स्वच्छता: बच्चे को गोद लेने से पहले हाथ धोएं, ब्रेस्टफीडिंग से पहले साफ कपड़े से स्तन पोंछें।

साफ पानी: अगर पानी का इस्तेमाल करना पड़े तो हमेशा उबालकर ठंडा किया हुआ पानी ही दें।

बोतल से परहेज़: बोतल की बजाय चम्मच या कप से दूध पिलाना ज्यादा सुरक्षित है।

आसपास सफाई: बच्चे का बिस्तर, कपड़े और खिलौने साफ रखें।

3. लक्षण पहचानना

बार-बार पतले या पानी जैसे दस्त होना।

बच्चे का बार-बार रोना, सुस्ती या चिड़चिड़ापन।

पेशाब कम होना, होंठ और जीभ का सूखना (डिहाइड्रेशन के संकेत)।

उल्टी के साथ दस्त होना।

4. उपचार

ORS घोल: दस्त के तुरंत बाद शिशु को WHO मानक ORS घोल थोड़ी-थोड़ी मात्रा में बार-बार दें (अगर बच्चा 6 महीने से कम है तो स्तनपान जारी रखें और साथ में ORS डॉक्टर की सलाह से दें)।

स्तनपान जारी रखें: इससे शिशु को पोषण और पानी दोनों मिलते हैं।

जिंक सप्लीमेंट: डॉक्टर की सलाह से जिंक की खुराक डायरिया की अवधि कम करने में मदद करती है।

संक्रमण का इलाज: बैक्टीरियल या परजीवी संक्रमण में डॉक्टर एंटीबायोटिक या अन्य दवा दे सकते हैं।

अस्पताल जाने की स्थिति: अगर बच्चा सुस्त हो, दस्त के साथ खून आए, तेज बुखार हो, या पेशाब रुक जाए तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।

5. देखभाल के उपाय

बच्चे के कपड़े तुरंत बदलें और गंदे कपड़ों को गर्म पानी में धोएं।

डायपर समय पर बदलें, त्वचा पर रैशेज से बचाने के लिए डायपर क्षेत्र को सूखा और साफ रखें।

शिशु के आसपास मक्खी और मच्छर न आने दें।

बच्चे को प्यार और आराम दें, क्योंकि बीमारियों के दौरान भावनात्मक सुरक्षा भी उतनी ही जरूरी है।

शिशुरोग  विशेषज्ञ डॉ राजेश कुमार ने कहा कि  नवजात शिशु को डायरिया से बचाने के लिए सबसे जरूरी है स्तनपान, स्वच्छता और समय पर उपचार।

यह न केवल बीमारी से बचाव करता है बल्कि शिशु की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है।

माता-पिता को हमेशा सतर्क रहना चाहिए कि बच्चे में किसी भी बीमारी का संकेत मिलते ही तुरंत सही चिकित्सा लें, ताकि उसकी सेहत और जीवन सुरक्षित रहे।

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