साजिश : सुप्रीम कोर्ट के ईपीएस-95 फैसले को बदलने की

EPFO से पिछले 29 दिसंबर के अवैध सर्कुलर को वापस लेने और पेंशनरों के खिलाफ साजिश बंद करने की मांग 
NAGPUR:  ईपीएस-95 सेवानिवृत्त कर्मचारी समन्वय समिति ने केंद्र सरकार और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) से मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने 4-11-2022 को जो फैसला सुनाया है,
उसे आर.सी. गुप्ता प्रकरण के निर्णय के आधार पर EPFO के 23-03-2017 एवं पूर्व के सर्कुलर के अनुसार क्रियान्वित किया जाए.
समन्वय समिति के राष्ट्रीय सचिव प्रकाश पाठक ने एक प्रेस विज्ञप्ति में आरोप लगाया है कि EPFO जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की न केवल अनदेखी कर रहा है,
बल्कि फैसले को तोड़मरोड़ कर लाखों ईपीएस-95 पेंशनरों को उच्च पेंशन या पूर्ण वेतन पर पेंशन पाने के अधिकार से वंचित करने की साजिश कर रहा है.
सर्कुलर निरस्त किया जाए
EPFO को भेज गए समिति विधि सलाहकार दादा तुकाराम झोड़े के पत्र के हवाले से EPFO के 29-12-2022 के सर्कुलर को पूर्णतः अवैध बताते हुए यह मांग दोहराई है कि
इस परिपत्र को निरस्त किया जाए. उन्होंने यह भी मांग की है कि कि जो कर्मचारी 1-09-2014 के बाद सेवानिवृत्त हुए हैं
और जो वर्तमान में कार्यरत हैं, उनके न्यायोचित पेंशन देने के लिए शीघ्र परिपत्र जारी किया जाए और पेंशनरों के खिलाफ साजिश बंद की जाए.
उल्लेखनीय है कि ईपीएस 1995 पेंशन के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने 4-11-2022 का फैसला सुनाया है.
लेकिन EPFO ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने के लिए 29-12-2022 को जो सर्कुलर जारी किया है,
वह सर्कुलर सुप्रीम कोर्ट के सभी फैसलों के पूरी तरह खिलाफ है.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने ईपीएस पेंशन योजना के पेंशनरों को चकित कर दिया है.
भविष्य निधि संगठन का उपरोक्त सर्कुलर पेंशनरों के खिलाफ साजिश है.
फैसले को ही बदल कर रख दिया
प्रकाश पाठक ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के 4-11-2022 के फैसले की धारा 44(9) ने सुप्रीम कोर्ट को आर.सी. गुप्ता मामले में फैसले को कानूनी और उचित ठहराते हुए आठ सप्ताह के भीतर 4-10-2016 के फैसले को लागू करने का निर्देश दिया.
लेकिन EPFO ने 4-11-2022 के फैसलों की धाराओं की गलत व्याख्या करने की साजिश की है
और आर.सी. गुप्ता के मामले में 4-10-2016 के फैसले को ही अपने 29-12-2022 के सर्कुलर में बदल कर रख दिया है.
इस सर्कुलर के तहत उच्चतम न्यायालय के आर.सी. गुप्ता मामले के निर्णय के अनुसार अधिकांश सेवानिवृत्त कर्मचारी उच्च पेंशन या पूर्ण वेतन पर पेंशन पाने के पात्र नहीं रह पाएंगे और उनमें से अधिकांश को पेंशन का लाभ नहीं मिल पाएगा.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवमानना
पाठक ने कहा है कि EPFO का यह सर्कुलर आर.सी. गुप्ता मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवमानना है.
सुप्रीम कोर्ट ने आर.सी. गुप्ता मामले में फैसला सुनाया कि ईपीएस पेंशन योजना के प्रावधान 11(3) के अनुसार, विकल्प के लिए कोई समय सीमा नहीं है और कर्मचारी सेवानिवृत्ति के बाद भी विकल्प दे सकता है.
 कर रहा है साजिश
उन्होंने बताया है कि सुप्रीम कोर्ट दिनांक 12-07-2016, ऑस्टिन जोसेफ बनाम भारत सरकार (एसएलपी (सी) नं 19954 ऑफ 2015) के फैसले से यह स्थापित हो गया है
कि सेवानिवृत्त कर्मचारी भी विकल्प दे सकता है, लेकिन EPFO जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की न केवल अनदेखी कर रहा है,
बल्कि फैसले को तोड़मरोड़ कर लाखों ईपीएस-95 पेंशनरों को उच्च पेंशन या पूर्ण वेतन पर पेंशन पाने के अधिकार से वंचित करने की साजिश कर रहा है.
ज्ञातव्य है कि आर.सी. गुप्ता प्रकरण पर सुप्रीम कोर्ट के ही निर्णय के क्रियान्वयन के लिए 23-03-2017 को EPFO द्वारा एक सर्कुलर जारी किया जा चुका है.
तदनुसार लगभग 24672 पेंशनरों को उच्च पेंशन देने के लिए इसे क्रियान्वित भी किया जा चुका है.
यह सर्कुलर 23-03-2017 सीबीटी और भारत सरकार के अनुमोदन से जारी किया गया है.
लेकिन वर्तमान 29-12-2022 का सर्कुलर का सीबीटी या भारत सरकार ने कोई अनुमोदन नहीं किया है.

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