मेडिका अस्पताल के कैंसर रोग विशेषज्ञ ने फोर्थ स्टेज के कैंसर से पीड़ित दो वर्षीय बच्चे की कीमोथेरेपी सहित अन्य चिकित्सा से नई जिन्दगी प्रदान की

बच्चे की आंख में ‘यॉक सैक ट्यूमर’ (विलक्षण किस्म का कैंसर) होने की पुष्टि हुई

हीमोग्लोबीन 1.2 ग्राम था और बांयी आंख और नाक में भयानक संक्रमण की वजह से मवाद निकल रहा था

RANCHI: मेडिका अस्पताल के मेडिकल आंकोलाजिस्ट डॉ गुंजेश कुमार सिंह, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ बिनोद एवं डॉ मदन गुप्ता ने फोर्थ स्टेज के कैंसर से पीड़ित दो वर्षीय बच्चे की कीमोथेरेपी सहित अन्य चिकित्सा से नई जिन्दगी प्रदान की.

मेडिका अस्पताल में शनिवार को आयोजित प्रेस वार्ता में डा अनिल कुमार, मेडिकल आंकोलाजिस्ट डॉ गुंजेश कुमार सिंह ने बताया कि दो साल का रवि (नाम परिवर्तित) बीती 8 दिसंबर की रात करीब तीन बजे जब मेडिका अस्पताल की इमरजेंसी में आया ,

तो उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, चेहरे पर बहुत थकान के साथ-साथ लगता था कि बहुत खराब ढंग से उसका पोषण हो रहा है।

शुरुआती जांच में पता लगा कि उसे बहुत एडवांस स्टेज का ट्यूमर है जिसकी वजह से उसकी बांयी नाक, बांयी आंख के अलावा मुंह और दाहिनी नाक तक बुरी तरह प्रभावित हो रही है।

नाक बंद होने और मुंह से सांस लेने के कारण बच्चा बहुत परेशान था।

उसका हीमोग्लोबीन 1.2 ग्राम था और बांयी आंख और नाक में भयानक संक्रमण की वजह से मवाद निकल रहा था।

हीमोग्लोबीन अत्यधिक कम होने, शरीर में पानी की कमी और खराब पोषण की वजह से उसकी नाजुक हालत को देखते हुए उसे तत्काल इंटरवेंशन और खून चढाए जाने की जरूरत थी।

सांस लेने में तकलीफ की वजह से वह सो भी नहीं पा रहा था।

मेडिकल ऑंकोलॉजिस्ट डॉ. गुंजेश कुमार सिंह और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विनोद तुरंत हरकत में आए।

उन्होंने रवि को हर छह घंटे बाद ब्लड ट्रॉंसफ्यूजन और ट्यूब की मदद से आहार पोषण देना शुरू किया।

हेड एंड नेक ऑंको सर्जन डॉ मदन प्रसाद गुप्ता ने नाक की बॉयप्सी की।

तमाम रिपोर्ट एवं लक्षण उसके कैंसर से पीड़ित होने की ओर इशारा कर रहे थे। इसलिए डॉ. गुंजेश ने बिना समय गवाएं उसकी कीमोथेरेपी शुरू कर दी।

हालांकि एक हफ्ते बाद जब बॉयप्सी की रिपोर्ट आई तो उसमें उसकी आंख में ‘यॉक सैक ट्यूमर’ (विलक्षण किस्म का कैंसर) होने की पुष्टि हुई।

कीमोथेरेपी असर दिखाने लगी और धीरे धीरे उसके ट्यूमर का आकार भी कम होने लगा। वह नाक से सांस लेने लगा और उसे नींद भी आने लगी। कीमोथेरेपी की दूसरी साइकिल 29 दिसंबर से शुरू हुई।

अब वह आराम से खाना खा रहा है और उसकी बालसुलभ चंचलता भी लौट आई है। चार साइकिल कीमोथेरेपी पूरी करने के बाद डॉक्टर उसकी सर्जरी की योजना बना रहे हैं।

डॉ अनिल कुमार ने बताया कि ट्वीट के माध्यम से मरीज के बारे में पता चला.

बाद में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल एवं आर्थिक मदद तथा मेडिका अस्पताल प्रबंधन के सहयोग से बच्चे का

इलाज कम खर्च लगभग ढाई लाख में इलाज संभव हो सका.

नहीं तो इस तरह के इलाज में पांच से छह लाख रुपये खर्च आता.

रवि के परिजनों के मुताबिक इलाज के लिए वे उसे एम्स दिल्ली भी ले गए थे, लेकिन पैसों की दिक्कत की वजह से उन्हें मजबूरी में घर लौटना पड़ा।

दुमका डीसी एवं सिविल सर्जन के ट्वीट के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल, मेडिका के डॉक्टरों की मेहनत और अस्पताल प्रबंधन के सहयोग से रवि को नई जिंदगी मिल गई है। प्रेसवार्ता में आनंद श्रीवास्तव डॉ मदन गुप्ता उपस्थित थे.

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