परिवार नियोजन के कार्य का योजना बनाकर ससमय कार्यो को करें अन्यथा होगी कार्यवाही: डॉ विद्यानंद शर्मा पंकज

 साह-बहू-पति सम्मेलन का आयोजन तथा नयी पहल किट के वितरण की उपलब्धि 100 प्रतिशत करने का दिया निदेश 

एक परिवार में एक या दो बच्चे होने चाहिए तथा इन बच्चों के जन्म में तीन साल का अन्तर होना चाहिए

RANCHI: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, झारखण्ड अन्तर्गत परिवार नियोजन का समीक्षात्मक बैठक की अध्यक्षता विद्या नन्द शर्मा पंकज, अपर अभियान निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन झारखण्ड के द्वारा किया गया।

इस बैठक में प्रतिभागी के रूप में राँची प्रमण्डल अन्तर्गत जिलों- राँची, खूँटी, लोहरदगा, गुमला,

सिमडेगा एवं रामगढ़ जिले के ए0सी0एम0ओ0, जिला कार्यक्रम प्रबंधक, जिला कार्यक्रम समन्वयक,

जिला लेखा प्रबंधक ने भाग लिया।
विद्या नन्द शर्मा पंकज ने कहा कि परिवार नियोजन के कार्य का योजना बनाकर ससमय कार्यो को करें अन्यथा होगी कार्यवाही।

उन्होनें परिवार नियोजन के वार्षिक उपलब्धि की विस्तृत समीक्षा की।

महिला बंध्याकरण तथा पुरूष नसबंदी के संख्या में आई गिरावट पर तत्काल अपेक्षित उपलब्धि नहीं करने वाले अधिकारी एवं कर्मचारी के कार्यवाही करने का आदेश दिया।

प्रत्येक सहिया द्वारा पूरे वर्ष में कम से कम 02 पुरूष नसबंदी, 06 महिला बंध्याकरण,

15 पी0पी0आई0यू0सी0डी0, 08 इंटरभल आई0यू0सी0डी0, 12 इन्जेक्टेबल, 06 ओरलपिल्स, 06 कंडोम के उपयोगकर्ता (Consistent User) तैयार किया जाना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया।

स्वास्थ्य उपकेन्द्र स्तर तक कंडोम बाॅक्स 10 दिनों के अन्दर कंडोम बाॅक्स लगाकर कंडोम का वितरण करने का निदेश दिया।

साह-बहू-पति सम्मेलन का आयोजन तथा नयी पहल किट के वितरण की उपलब्धि 100 प्रतिशत करने का निदेश दिया।

किसी भी स्थिति में लाभुक, उत्प्रेरक/सहिया को प्रोत्साहन राशि ससमय देने तथा परिवार नियोजन संबंधी वस्तुओं का ससमय क्रय करने का निदेश दिया गया।

उन्होंने हाइड्रोसिल तथा पुरूष नसबंदी कराने वाले व्यक्तियों को चिन्हित करने तथा योग्य दम्पति को चिन्हित कर पुरूष नसबंदी अभियान के कार्यो को गति लाने का निर्देश दिया।

डा0 अनिल कुमार, राज्य नोडल पदाधिकारी, परिवार नियोजन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, झारखण्ड ने कहा कि परिवार नियोजन से तात्पर्य एक ऐसी योजना से है

जिसमें परिवार की आय, माता के स्वास्थ, बच्चों के समुचित पालन पोषण तथा शिक्षा को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त समय पर और एक आदर्श संख्या में सन्तानों को जन्म दिया जाए।

अन्य शब्दों में कहे तो परिवार नियोजन वह है जिसमें एक परिवार में एक या दो बच्चे होने चाहिए तथा इन बच्चों के जन्म में तीन साल का अन्तर होना चाहिए।

परिवार नियोजन को अब बेहतर जीवन स्तर हेतु मौलिक मानवीय हक माना जाता है।

जन्मों में प्रर्याप्त अन्तर होना बेहतर पारिवारिक स्वास्थ के लिए महत्त्वपूर्ण और महिलाओं के लिए अधिक स्वतंत्र और समान अधिकारो की प्राप्ति हेतु सहायक होता है।

यदि महिलाओं को परिवार नियोजन अपनाने हेतु स्वतन्त्रता दी जाए तो अधिकांश महिलाएं सिर्फ दो बच्चों को ही जन्म देना स्वीकार करेगी।

सिर्फ दो बच्चो के पर्याप्त अन्तर से जन्म लेने की वजह से माता का स्वास्थ अच्छा रहता है।

वह परिवार की देखभाल अच्छी तरह से करती है। माताओ और शिशुओं के स्वास्थ सम्बन्धी खतरे बहुत कम हो जाते है। छोटा परिवार स्वास्थ, सुखी और सतुंष्ट रहता है।

अच्छी शिक्षा की वजह से दम्पत्ति स्वतन्त्रता पूर्वक परिवार नियोजन कर सकते हैं।

माताओं की आयु 20 वर्ष से अधिक होने से शिशु जन्म के समय किसी का खतरा नहीं रहता है। छोटे परिवार में पैसा बढ़ता है और स्तर में सुधार होता है।

माता के पास अपनी शिक्षा तथा कार्य में सुधार हेतु पर्याप्त समय रहता है और रूचि बनी रहती है। उसका सामाजिक दर्जा भी बेहतर रहता है।
इस अवसर पर गुंजन खलखो, राज्य परिवार नियोजन समन्वयक, नवल किशोर यादव, अभिजीत मिश्रा तथा अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।

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