विकास और सुशासन के प्रणेता राष्ट्रनायक अटल बिहारी वाजपेयी

अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती पर विशेष आलेख

रविनाथ किशोर
(संपादक,अंत्योदय संकल्प,
प्रदेश कार्यसमिति सदस्य भाजपा )

RANCHI: असाधारण राजनीतिक व बौद्धिक क्षमता से परिपूर्ण, संवेदनशील कवि एवं राजनेता,भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की लंबी सामाजिक जीवन यात्रा भारत और भारतीयता को प्रतिबिंबित करती है।

युगपुरुष अटल जी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व विशाल था। प्रखर राष्ट्रवादी, ओजस्वी वक्ता,देश विदेश की राजनीति की गहरी समझ रखने वाले अटलजी सर्वस्वीकार्य नेता थे।

25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में जन्मे अटलजी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ध्येयनिष्ठ स्वयंसेवक थे।

बाल्यावस्था से ही राष्ट्र एवं समाज सेवा की भावना से वे ओत प्रोत थे।

परतंत्रता की बेड़ी से देश को आजाद कराने के लिए अटल जी ने भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई।

अटल जी जहां भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में थे वहीं वे 6 अप्रैल 1980 को गठित भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष भी रहे।

जनसंघ से भाजपा तक की गौरवशाली यात्रा के वे मुख्य नेतृत्वकर्ता थे।

डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय के साथ संगठन के वैचारिक सिद्धांतों को सर्वव्यापी और सर्वस्पशी बनाने के लिए अटलजी ने विभिन्न स्तरों पर कार्य किया।

आम जनमानस तक विभिन्न विषयों पर संगठन के विचार और कार्यक्रम पहुंचाने के लिए जहां एक ओर वे निरंतर प्रवास करते थे,

ओजस्वी भाषण से जनता को मंत्रमुग्ध कर देते थे वहीं दूसरी ओर कवि तथा संपादक के रूप में अपनी लेखनी से संगठन नीति व सिद्धांत का प्रचार करते थे।

संवाद, सहयोग एवं सक्रियता से लोगों को जोड़ने की उनकी अद्भुत क्षमता से संगठन को मजबूती मिलती थी।

आलेख , कविता एवं भाषण से राष्ट्रीयता के विचार प्रवाह को प्रखरता प्रदान करने के साथ साथ अपने आचरण, व्यवहार एवं प्रतिबद्धता से वे कार्यकर्ताओं को संगठन में काम करने के लिए प्रेरित करते थे।

वर्ष 1957 में बलरामपुर से पहली बार वे लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए।उनका पूरा संसदीय जीवन लोकतांत्रिक आदर्शों एवं मूल्यों को समर्पित रहा।एक सांसद के रूप में, एक मंत्री के रूप में, एक विपक्ष के नेता रूप में तथा एक प्रधानमंत्री के रूप में वाजपेयी जी ने संसदीय लोकतंत्र की गरिमा को स्थापित किया है।

यह अटलजी के करिश्माई व्यक्तित्व का ही प्रभाव था कि उन्होंने 22 दलों को साथ लेकर बड़े ही प्रभावशाली तरीके से गठबंधन सरकार चलाई।

सभी दलों के नेताओं के बीच समन्वय स्थापित कर देश को सही दिशा में ले जाना कोई आसान काम नहीं था। परंतु वाजपेयी ने इसे संभव कर दिखाया।

पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व वाली राजग सरकार के कार्यकाल को हम स्वणिम काल कह सकते है।

अटल जी ने ही पहली बार देश के लोगों को सुराज की अनुभूति करायी।

विकास और सुशासन के साथ साथ राष्ट्रीय सुरक्षा की मजबूती पर सर्वाधिक कार्य किया गया।

अटल जी की सरकार ने जहां एक ओर परमाणु परीक्षण कर भारत को सैन्य महाशक्ति के रूप में स्थापित किया,

भारत को परमाणु शक्ति संपन्न बनाया वहीं दूसरी ओर अमेरिका सहित अन्य दूसरे देशों के आर्थिक प्रतिबंधों के कुप्रभावों से राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को बचाते हुए समर्थ भारत की नींव को मजबूत किया।

परिणामस्वरूप कड़े आर्थिक प्रतिबंधों के बावजूद देश में महंगाई नियंत्रित रही। आवश्यक खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि नहीं हुई। सभी जरुरी वस्तुएं सर्व सुलभ थी।

आर्थिक प्रतिबंधों के बावजूद भारत के विकास से दुनिया हैरान थी। सैन्य महाशक्ति के साथ साथ भारत आर्थिक महाशक्ति के रूप में भी स्थापित हो रहा था।

कारगिल युद्ध के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी जी द्वारा दृढ़ता पूर्वक लिए गए साहसिक एवं कुटनीतिक फैसलों ने पाकिस्तान के मंसूबों पर पानी फेर दिया।

आंतरिक सुरक्षा के क्षेत्र में भी बड़े पैमाने पर कार्य हुए। अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार ने भ्रष्टाचार मुक्त शासन दिया। महंगाई और कालाबाजारी को नियंत्रित किया।

गैस सिलेंडर भरवाने के लिए जहां पहले लोगों को लंबा लाइन लगना पड़ता था अटलजी के शासन काल में यह सर्व सुलभ हो गई।

श्रद्धेय वाजपेयी जी ने देश के विकास के लिए महात्वाकांक्षी स्वणिम चतुर्भुज योजना शुरू की जिसके तहत 5846 किमी राजमार्ग का निर्माण किया गया।

देश के चार कोनों को जोड़ने की इस अनूठी योजना ने विकास को नया आयाम दिया।

अटल जी गांव, गरीब और किसान को विकास की मुख्यधारा से जोड़ना चाहते थे।

इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना को प्रारंभ किया। संचार क्रांति अटलजी की ही देन है। सर्व शिक्षा अभियान अटलजी ने लाया।

पूजनीय अटल बिहारी वाजपेयी जी का झारखंड एवं जनजाति समाज से विशेष लगाव था।वे यहां के लोगों के प्रति काफी स्नेह रखते थे।

अलग राज्य की जनभावना को सम्मान देते हुए उन्होंने सत्ता में आने पर झारखंड अलग राज्य का निर्माण के सपने को साकार किया।

जनजातीय समुदाय के समग्र विकास और कल्याण के लिए अनुसूचित जनजाति मंत्रालय बनाया। संथाली भाषा को अष्टम अनुसूची में शामिल किया।

देश एवं राज्य के सर्वांगीण विकास के लिए अटल जी के महत्त्वपूर्ण योगदान है।हम सभी देशवासी एवं राज्यवासी अटलजी के सदैव ऋणी रहेंगे।

हे महानायक ! आपको शत् शत् नमन

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