पूरानी यादों को ताजा किया,गर्मजोशी से मिले अपने सहपाठियों से, खूब मस्ती की

  1. रिम्स पुनर्मिलन-22 में 1971 एवं 1972 बैच के डॉक्टरों का गोल्डन मीट

RANCHI: रिम्स में  एसोसिएशन ऑफ आरएमसीएच/रिम्स एलुमिनी के तत्वावधान में तीन दिसंबर को रिम्स ऑडिटोरियम में आयोजित पुनर्मिलन-22 में 1971 एवं 1972 बैच के पूर्ववर्ती छात्र छात्राओं का मिलन समारोह का आयोजन किया गया।

समारोह के मुख्य अतिथि वरीय शिक्षक डॉ सुरेश्वर पाण्डेय ने दीप जला कर कार्यक्रम का उद्घाटन  किया।

इस मौके पर उन्होंने सभी पूर्ववर्ती छात्र छात्राओं को पुर्नमिलन समारोह में आने पर शुभकामनाएं दी।

साथ ही इसी तरह पुर्नमिलन में हर साल मिलने जुलने का सिलसिला बनाये रखने की बात कही।

1971 एवं 1972 बैच के छात्र छात्राओं ने ग्रुप फोटो खिचवाये. एसोसिएशन की ओर से डॉ गोविंदजी सहाय एवं डॉ प्रभात कुमार एवं डॉ मिन्नी रानी अखौरी ने सभी गोल्डी बैच के डॉक्टरों को गोल्डल मेडल पहनाकर स्वागत किया।

देर शाम रंगारंग कार्यक्रम में सभी गोल्डी बैच के डॉक्टरों ने भाग लिया और गीत संगीत का आनंद उठाया।

पुनर्मिलन समारोह में देश और विदेश से परिवार के् साथ आये डॉक्टरों ने अपने पूराने मित्रों से गले मिलकर उनका कुशलक्षेम पूछा और कालेज के दिनों की पूरानी यादों को ताजा किया।

आरएमसीएच/रिम्स कैंपस में हुए बदलाव को देख काफी खुश हुए और कालेज के दिनों में हास्टल के कमरे को भी देखने गये और हास्टल में किये गये बदलाव की सराहना की। डॉक्टरों ने कहा कि रिम्स में काफी कुछ बदल गया लेकिन हम नहीं बदले।

रिम्स निदेशक ने ली थी अपने सहपाठी से फीस

रिम्स निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद अपने 1972 बैच के सहपाठियों से मिलकर काफी खुश हुए

और गर्मजोशी के साथ मिले। साथ में समय बिताया। साथ साथ खाना खाया और अपने पूराने दिनों की यादें ताजा की।

रिम्स निदेशक डा कामेश्वर प्रसाद से कालेज के दिनों की खास लम्हें जो आज भी याद है पूछे जाने पर अपने सहपाठी डॉ दीपक के बारे में बताया कि हास्टल में साथ रहते थे

पढ़ाई लिखाई में हमसे काफी कुछ पूछताछ और पढ़ाई से संबंधी जानकारी के लिए आग्रह करता था उससे हम बोले थे इसके लिए फीस देनी होगी।

वह पूछा क्या करना होगा हमने उसे कहा कि हमें रोज सुबह चार बजे उठाना होगा।

वह तैयार हो गया। डॉ दीपक रोज रात नौ बजे सो जाता और सुबह तीन बजे ही उठकर नहा कर तैयार हो जाता था। और हमें रोज सुबह तीन बजे ही उठा देता।

डॉ कामेश्वर प्रसाद ने बताया कि वह देर रात पढ़ते थे इस लिए सुबह नींद नहीं खुलती थी। आज डॉ दीपक आई विशेषज्ञ के रूप में कार्यरत हैं.

पुनर्मिलन समारोह में डॉ दीपक से मिलकर पूरानी यादें ताजा हो गयी

अमेरिका से आये डॉ सच्चिदानंद झा और डॉ भोला नाथ राम ने भी शेयर किये अपनी यादें

अमेरिका से पहली बार रिम्स पुनर्मिलन में शामिल होने आयो डॉ सच्चिदानंद झा आरएमसीएच (1971 बैच) ने बताया कि आरएमसीएच से पास आउट होने के बाद यूएस के मिशिगन चले गये

वहां इंटरनल मेडिसीन विशेषज्ञ के रुप में कार्यरत हैं। डॉ झा ने कहा कि अपने कालेज के दिनों को और अपने सहपाठियों से मिलकर काफी अच्छा और शुकुन मिल रहा है।

कालेज कैंपस सहित अस्पताल में काफी बदलाव को देख खुशी व्यक्त किया और रिम्स निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद के कार्यों की सराहना की।

डॉ झा ने कहा कि रिम्स में कई नये विभाग खुल गये हैं। चिकित्सा की सुविधाओं में वृद्धि् भी हुई है।

डॉ भोला नाथ राम (1971 बैच) रहने वाले को रांची के पत्थलकुदवा के हैं आरएमसीएच से पास आउट होने के बाद   1982 में यूएस चले गये वहां ओहायो में कारिडियोलॉजिस्ट के पद पर अपनी सेवा दे रहे हैं।

डॉ भोला नाथ राम से शिक्षक और छात्र के संबंध में पूठे जाने पर बताया कि शिक्षक Gem थे। डॉ राम ने कहा कि हमारे शिक्षक बेस्ट थे हर स्टूडेंट्स को उसके नाम से जानते थे

उनमें डॉ राघव शरण, मेडिसीन के डॉ बरमेश्वर प्रसाद,डॉ सुरेन्द्र सिन्हा के साथ छात्रों का विशेष लगाव था।

आज उन्हीं के मार्गदर्शन से वे यहां तक पहुंचे हैं। गुरु शिष्य का संबंध काफी मधुर था गलती पर डांट भी पड़ती थी

और अच्छे काम के लिए एप्रिशिएशन भी मिलता था। अपनी पूराने दिनों को याद करते हुए डॉ भोला नाथ राम ने कहा कि एक बार कालेज की फीस वे नहीं दे पा रहे थे

प्राचार्य डॉ एलएन मित्रा को पता चला तो उन्होंने अपने पर्स से पैसा निकाल कर फीस जमा करने को दिया।

वह दिन आज भी हम नहीं भूले हैं। डॉ टीपी वर्णवाल भी कालेज के दिनों की यादें ताजा की।

रिम्स के पूर्व विभागाध्यक्ष मेडिसीन विभाग डॉ जेके मित्रा(1972 बैच) भी अपने सहपाठियों से मिलकर काफी खुश थे और उनके साथ मिलकर अपनी कालेज के दिनों की यादें शेयर किया।

लखनऊ में कार्यरत डॉ जेके दास से गर्मजोशी के साथ मिले और कुशल क्षेम पूछा।

 

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