आंखों की जन्मजात बिमारियों की पहचान में इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी जांच काफी कारगरःडॉ बीपी कश्यप

आँखों के पर्दों के नहीं पहचान आ रहे अति दुर्लभ रोगों की पहचान कराता है आंखों का इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी जाँच

 

RANCHI: विगत 2 जून से 5 जून 2022 तक जीओ वर्ल्ड सेंटर, मुंबई में ऑल इंडिया ऑफ्थैल्मोलॉजिकल सोसायटी (ए.आई.ओ.एस.) की 80वें वार्षिक सम्मेलन का आयोजन किया गया था।

इस सम्मेलन में पुरे देश से 6000 नेत्र चिकित्सकों ने भाग लिया। इस सम्मेलन में झारखण्ड के सुप्रसिद्ध नेत्र चिकित्सक डॉ. बी. पी. कश्यप के नेतृत्व में झारखण्ड के प्रसिद्ध नेत्र चिकित्सकों की टीम ने आँखों की इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी पर पुरे देश भर से आए नेत्र चिकित्सकों को प्रशिक्षण प्रदान किया।

डॉ. बिभूति भूषण ने इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी विषय का प्रस्तुतिकरण किया, डॉ. राहुल प्रसाद ने मशीन के इलेक्ट्रोडस पर चर्चा की, डॉ. बी. पी. कश्यप ने फुल फील्ड एवं मल्टीफोकल इलेक्ट्रोरेटिनोग्राम एवं डॉ. भारती कश्यप ने इलेक्ट्रोआक्यूलोग्राम को विस्तार से नेत्र चिकित्सकों को समझाया, रांची के प्रसिद्ध रेटिना विशेषज्ञ डॉ. विभूति कश्यप ने पैटर्न इलेक्ट्रोरेटिनोग्राम एवं डॉ. निधी गडकर कश्यप ने विजुअल इवोक्ड पोटेनशियल विषय पर प्रस्तुति दी।

इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी की प्रशिक्षण कार्यशाला से जो मुख्य बातें निकल कर आई वह इस प्रकार से हैं –

आंखों की इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी जांच आँख के रेटीना एवं नस के फंक्शन को बताती है। बाकी जो पुराने टेस्ट है उनसे आंखों के अंदर के पर्दे की फोटो हम लेते हैं लेकिन यह सब आँखों की फंक्शन को नहीं बताते हैं। इस जांच से आपके पर्दे की किस सतह में बीमारी है इसका पता चल जाता है। अगर आँखों के पर्दे या नस की बीमारी है और आंखों के अंदर सब नॉर्मल दिख रहा है तो ऐसी स्तिथी में इस जाँच से बहुत मदद मिलती है।

सेंट्रल विजुअल फील्ड डिफेक्ट है या रोशनी से आँख बहुत चुंध्ययाती है रोशनी कम हो रही है और आँखों के अंदर सब नॉर्मल दिख रहा है ऐसी स्थिति में यह बहुत जानकारी देने वाली जांच है।

हार्ट की ईसीजी के समान इस जांच में किसी भी प्रकार के डाई का इस्तेमाल नहीं होता है। जिन मरीजों को शरीर की अन्य बीमारी जैसे किडनी, हार्ट डिजीज, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, की बीमारी के चलते नस में डाई देना बहुत सुरक्षित नहीं होता वैसे मरीजों में यह जाँच काफी फायेदेमंद साबित होती है।

इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी जाँच से आँखों के पर्दे की अलग-अलग सतह की बिमारियों का पता चलता है, साथ में यह भी पता चलता है की यह बीमारी जन्मजात है या जन्म के बाद हुई है।

आँखों के जन्मजात बिमारियों के पहचान में यह जाँच बहुत कारगर होता है। कई बार छोटे बच्चें जिनकी आँखें स्थिर नहीं होती हैं लगातार हिलती रहती हैं वैसे बच्चों की आँखों की कौन सी जन्मजात बीमारी है यह बताता है। कई बार माता – पिता की आँखों के जाँच से भी बच्चों की जन्मजात बीमारी का पता चल जाता है।

इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी जाँच से आँखों के पर्दे की बहुत सारी जन्मजात बिमारियों और आखों के नस की बिमारियों के पहचान एवं उसके उपचार में कितना फायदा हो रहा है उसे भी दिखाता है।

आँखों के पर्दे की खून की नली की सुजन की बीमारी के डायग्नोसिस में बहुत मदद करता है रेटिना से लेकर ब्रेन तक रौशनी के रास्ते में जहाँ भी गड़बड़ी होती है इस जाँच से पहचान करने में सहायता होती है।

इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी की जाँच की सुविधा झारखण्ड-बिहार में सिर्फ कश्यप मेमोरियल आई हॉस्पिटल में उपलब्ध है और पिछले 4 वर्षों से यह सुविधा यहाँ उपलब्ध है।

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