भोपाल में कुत्तों का आतंक , हर रोज निगम के पास पहुँच रही 100 शिकायतें

(भोपाल) : राजधानी भोपाल में कुत्तों का आतंक फिर बढ़ा है। शास्त्री नगर, कोलार, तुलसीनगर समेत कई इलाकों में कुत्तों के झुंड बढ़ गए हैं। इसे लेकर निगम के पास हर रोज एवरेज 100 शिकायतें पहुंच रही हैं। इसके चलते निगम कुत्तों की नसबंदी पर 2 करोड़ रुपए खर्च करेगा। मंगलवार सुबह शास्त्रीनगर में कुत्तों के राहगीरों के पीछे दौड़ने और काटने की शिकायत निगम कमिश्नर केवीएस चौधरी कोलसानी से की गई। इसके बाद निगम अमला हरकत में आया। इलाके में निगम की टीम शास्त्रीनगर भी पहुंची।
शास्त्री नगर में घूमने वाले आवारा कुत्तों की संख्या 70 तक पहुंच गई है। यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि शिकायत के बाद निगमकर्मी कुत्ते पकड़कर ले जाते हैं और कुछ दिन बाद वापस कॉलोनी में ही छोड़ देते हैं। मंगलवार सुबह भी 4 डॉग्स को छोड़ा गया। कुत्ते आने-जाने वाले लोगों की गाड़ियों के पीछे दौड़ते हैं। इससे कई लोग गिर चुके हैं।
इन जगह पर भी आतंक
कोलार के नयापुरा, गेहूंखेड़ा, ललितानगर में भी कुत्तों के झुंड हैं, जो हर आने-जाने वालों के पीछे दौड़ लगाते हैं।
अशोका गार्डन में भी संख्या बढ़ गई है।
कटारा हिल्स, वर्धमान ग्रीन पार्क, बीमाकुंज, करोंद इलाकों में भी आतंक है।
राजधानी में इस साल हो चुकी घटनाएं
26 फरवरी को ई-6 वर्धमान ग्रीन पार्क के पास अशोका गार्डन में घटना हुई थी। घर के बाहर खेल रही 6 साल की मासूम को कुत्तों ने नोंच दिया था।
बागसेवनियां इलाके में 1 जनवरी को चार साल की नन्हीं बच्ची पर 5 आवारा कुत्तों ने अटैक कर दिया था। बच्ची के सिर, कान और हाथ में गहरे घाव हुए थे। चेहरे के साथ ही पेट, कमर और कंधे पर भी चोट लगी थी।
कई बार बड़ा मुद्दा बनी घटनाएं
राजधानी में आवारा कुत्तों के काटने की घटनाएं कई बार बड़ा मुद्दा बन चुकी हैं। जनवरी में हुई घटना के मामले को हाईकोर्ट ने भी संज्ञान में लिया था। वर्तमान में नीलबड़ में सेंटर है। निगम डॉग की नसबंदी में 2 करोड़ रुपए खर्च करेगा। इसके लिए बजट में प्रावधान रखा गया है।
गर्मिंयों में कुत्ते चिड़चिड़े होने पर हमला करते हैं
वेटरनरी विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. अजय रामटेके बताते हैं कि सामान्यत: बादल और बारिश के मौसम में कुत्तों के काटने की घटनाएं रेबीज बीमारी के कारण होती है। यह वायरस डंप फॉर्म में पड़ा रहता है। जैसे ही बादल और पानी का मौसम होता है तो यह वायरस दिमाग में पहुंच जाता है। उस दौरान जानवर के शरीर में रेबीज के लक्षण नजर आने लगते हैं।
गर्मियों के मौसम में टेम्परेचर बढ़ने के कारण शहरी क्षेत्रों में कुत्तों के काटने की घटनाएं बढ़ती हैं। कुत्तों में बॉडी का टेम्परेचर कंट्रोल करने का सिस्टम अलग होता है। उनमें पसीने वाली ग्रंथियां नहीं होतीं। इस कारण यह मुंह से गर्म सांस को बाहर निकालकर मुंह से ही ठंडी सांस वापस लेकर बॉडी टेम्परेचर को मेंटेन करते हैं। गर्मिंयों में कुत्ते चिड़चिड़े हो जाते हैं और इरिटेशन बढ़ने के कारण यह हमला करने लगते हैं।