लंदन की नौकरी छोड़ किया आदिवासियों के जीवन में रोशनी लाने का फैसला ।
आज के समय में जहां हर व्यक्ति देश से बाहर विदेश जाके अपना भविष्य बनाना चाहता है, वही एक ऐसे शख्स है जो ब्रिटिश सरकार की नौकरी छोड़ कर देश के जनजंतियो के सेवा के लिए भारत वापस लौटे। अमिताभ सोनी जी जो जनजंति समुदाय की मदद और उन्हे ऊपर उठाने के लिए लगातार काम करते आ रहे हे, आज हिंदुस्तान समाचार की टीम उनसे रूबरू हुई और उनसे कुछ बातचीत की।
लाखो की नौकरी छोड़ देश लौटे।
अमिताभ सोनी जी का विदेश जाना और वहा से वापस लौटना तय था। उनका इंग्लैंड जाने के पीछे की वजह थी वो सीखना चाहते थे वहा के जीवंत लोकतंत्र केसे काम करता है, वहा के क्या पद्धति को हम अपने देश के युवाओं के भविष्य के सुधार के लिए अपना सकते है।
विद्यार्थी काल से ही वो ग्रामीण परिवेश और जनजाति बंधुओ के साथ काम कर चुके है, 2014 में विदेश से लौटने के बाद उनका मंत्र सफल जीवन से ज्यादा सार्थक जीवन का था। उन्हे एक ऐसे गांव की तलाश थी जनजातीय समुदाय से हो और उनकी तलाश केकड़िया गांव में जाके समाप्त हुई। उनका मानना है की को गांव के बचे या लोग है वो काफी सहज होते है, और उनकी ये सहजता बनी रहे इसीलिए उन्होंने गांव में आईटी लैब्स खोले ताकि गांव के लोगो को शहर आके न काम करना पड़े । उनका मानना है कि को जनजाति समाज है वो मुख्य धारा हे और हम उनमे जाके जुड़ना हे । और जीवन मूल्य भी हम उन गांव से ही सीखन पड़ेगा।
अभेद्या एनजीओ के माध्यम से उन्होंने कई बच्चो को शिक्षा के छेत्र में आगे बढ़ाया, लेकिन उनका एनजीओ की कोई बड़ी टीम नही है पैडरोल पर उनकी टीम में सिर्फ 6 लोग और बाकी कई लोग है ऐसे जो अलग अलग जगह से उनकी मॉनिटरिंग करते रहते है। इन सब के लिए उन्हें कोई सरकारी फंड नहीं मिलता ये एनजीओ के जो भी कार्य होते है सब सामाजिक और जनसहयोग से ही होते है।
कई मुश्किलों के बाद भी पीछे नहीं हटे।
हमारे समाज में कोई भी काम शुरू करना तो बहुत आसान होता है,लेकिन उसे चलते रहना बहुत मुश्किल होता है ,कई सारी दिक्कतें आती है और अमिताभ जी ने जब अपना काम शुरू किया तो उन्हे भी कई सारी दिक्कतें आई कुछ पैसे को दिक्कत, तो कई लोग काम छोड़ कर चले गए ऐसे में अमिताभ जी का कहना है की ” आर्मी परिवार से होने की वजह से मेने हमेशा एक चीज सीखी की को कर रहे हो उसमे लगे रहो।” कई बार जीवन में एक ऐसा समय भी आता है जब आप थक चुके होते हो , लेकिन ये आप पर निर्भर करता है की आप कितनी देर इस बात को लेकर उदास हो , उनका ऐसा कहना है की “ज्यादा से ज्यादा में एक दिन उदास रहता हु लेकिन फिर अपने काम पर लग जाता हूं उस फेस से बाहर निकल कर ।
जीवन में कुछ ऐसे दोस्त होना आवश्यक जो आपको आइना बता सके।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक के कई ऐसे लोग हे जेसे प्रेमजीत सिंह जी, डा. चंद्रप्रकाश द्विवेदी , विक्रम मल जी , ईवीएस राव जी और इसे कई लोग के जिनके जीवन से वो काफी ज्यादा प्रेरित होते है। उनका कहना है कि उनकी सफलता या विफलता का मापदंड सोशल मीडिया या जनता नही है, उनके जीवन में कुछ ऐसे लोग है जो उन्हें जीवन का आइना बताते है । उनके जीवन का एक उसूल है कि अगर उनके कुछ चुनिंदा लोग कह देते ही की काम अच्छा हे तो वो मान लेते है कि वो सफल है और अगर वो कह देते ही की ये विफल है तो मान लेते हे कि विफल ही, ये फैसला उन्होंने जनता पर नही छोड़ा है। तो जीवन में कुछ ऐसे दोस्त होना भी आवश्यक है जो आपको हकीकत से रूबरू करवा सके।
अंत में उन्होंने ने कहा के उनका ऐसा प्रयोजन है युवाओं को जोड़ने का इसे युवा जो निरंतर इस दिशा में कार्य करना चाहते है। तो युवा उनसे सोशल मीडिया या वाट्सअप के माध्यम से जुड़ सकते है।